Hayaghat Vidhan Sabha Election 2025: हायाघाट में बाढ़, बेरोजगारी और बदलते समीकरणों के बीच किसके साथ जनता ?

हायाघाट सीट पर बाढ़ और विकास के मुद्दों संग हर चुनाव में बदलते रहे हैं समीकरण
बिहार चुनाव : हायाघाट में बाढ़, बेरोजगारी और बदलते समीकरणों के बीच किसके साथ जनता ?

नई दिल्ली: बिहार चुनाव की सरगर्मियों में दरभंगा जिले की हायाघाट विधानसभा सीट पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां की जनता का मूड और समीकरण हर बार नए रंग दिखाता है।

1967 में अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 14 चुनाव हो चुके हैं। हायाघाट प्रखंड और बहेरी प्रखंड की 18 ग्राम पंचायतों से मिलकर बनी यह सीट समस्तीपुर (अनुसूचित जाति) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र सड़क मार्ग से उत्तर-मध्य बिहार के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। दरभंगा जिला मुख्यालय से यह लगभग 20 किलोमीटर दूर है। समस्तीपुर, रोसड़ा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख केंद्र इसके आसपास हैं, जबकि पटना से इसकी दूरी करीब 175 किलोमीटर है। बावजूद इसके, औद्योगिक विकास के मामले में हायाघाट पिछड़ा हुआ है।

यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि और छोटे व्यापार पर आधारित है। धान, गेहूं, मक्का और दलहन की खेती यहां प्रमुख है, लेकिन कमला और बागमती नदियों से आने वाली हर साल की बाढ़ लोगों की आजीविका और बुनियादी ढांचे पर भारी पड़ती है। यही कारण है कि बाढ़ और सड़क संपर्क की समस्या चुनावी मुद्दों में प्रमुखता से शामिल रहती है।

हायाघाट का चुनावी इतिहास बेहद रोचक रहा है। शुरुआती दौर में कांग्रेस ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की और बलेश्वर राम यहां के सबसे सफल उम्मीदवार रहे। इसके बाद राजनीति की तस्वीर बदली और राजद के हरिनंदन यादव ने दो बार जनता का भरोसा जीता।

2010 में अमरनाथ गामी ने भाजपा से जीत हासिल की और 2015 में जदयू से विधायक बने। दिलचस्प यह है कि अब तक कांग्रेस, जनता दल, भाजपा और निर्दलीय ने दो-दो बार इस सीट पर जीत दर्ज की है, जबकि जनता पार्टी और जदयू को एक-एक बार सफलता मिली है।

2020 में भाजपा के रामचंद्र प्रसाद ने राजद उम्मीदवार को हराकर सीट पर कब्जा जमाया। इससे पहले 2015 में महागठबंधन के टिकट पर जदयू के अमरनाथ गामी जीते थे। इन नतीजों से यह स्पष्ट है कि हायाघाट की जनता किसी एक दल को स्थायी समर्थन नहीं देती, बल्कि यहां हर चुनाव में एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर अहम भूमिका निभाता है।

शिक्षा और रोजगार की तलाश में हायाघाट के युवा बड़े पैमाने पर पटना, दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। कृषि-आधारित उद्योगों और ग्रामीण उद्यमों में ठोस निवेश की कमी यहां की सबसे बड़ी चुनौती है। यह स्थिति भी चुनावी बहस में अक्सर सामने आती है।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, हायाघाट विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,21,654 है, जिनमें 2,20,853 पुरुष और 2,00,801 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर कुल 2,55,322 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1,34,323 पुरुष, 1,20,995 महिलाएं और 4 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

 

 

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