नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका औपचारिक रूप से वापस ले ली। यह याचिका उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 8 मई के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें उनके खिलाफ चुनाव याचिका पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया गया था।
बघेल ने चुनाव याचिका पर अंतरिम रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि हाईकोर्ट में चल रही इस कार्यवाही पर रोक लगाई जाए, क्योंकि यह याचिका प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज की जानी चाहिए थी।
यह चुनाव याचिका उनके ऊपर लगाए गए आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों के संबंध में दायर की गई है। इस चुनाव याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह स्वतंत्रता दी है कि वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, जो कि इस मामले में इलेक्शन ट्रिब्यूनल के रूप में कार्य कर रहा है, के समक्ष इस याचिका की मेंटेनबिलिटी (स्वीकार्यता) को चुनौती दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट कहा कि हाईकोर्ट याचिका की मेंटेनबिलिटी पर निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनें। मेंटेनबिलिटी तय होने तक केस के मेरिट पर कोई सुनवाई या कार्यवाही न हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के पूर्व आदेश में की गई कोई टिप्पणी भूपेश बघेल के आवेदन को प्रभावित नहीं करेगी।
बता दें कि भूपेश बघेल पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप है। दुर्ग से भाजपा सांसद विजय बघेल ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल का चुनाव रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने आचार संहिता का उल्लंघन किया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद भी भूपेश बघेल ने पाटन विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार किया था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
दरअसल, 8 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हाईकोर्ट से झटका लगा था। हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व सीएम और पाटन विधानसभा सीट से विधायक भूपेश बघेल के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। भूपेश बघेल की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव याचिका में पर्याप्त सामग्री मौजूद है और इसे इस स्तर पर खारिज नहीं किया जा सकता।