चीन के विरोध भारतीय विदेश मंत्रालय ने खारिज किया
नई दिल्ली: चालबाज चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। इस बार चीन ने उत्तराखंड में लाइन आफ कंट्रोल के पास चल रहे भारत-अमेरिकी सैन्य अभ्यास पर आपत्ति जाहिर की है। उसका कहना है कि इस सैन्य अभ्यास से सीमा शांति के लिए द्विपक्षीय समझौतों की भावना का उल्लंघन होगा। चीन ने अभ्यास को लेकर अमेरिका को भी चेतावनी दी है।
बता दें कि भारत-अमेरिका का 19वां संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास एलएसी से लगभग 100 किमी दूर चल रहा है। ये युद्ध अभ्यास एक दोनों देशों की सेनाओं की ट्रेनिंग है। ये 2004 से हर साल आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक जटिल और भविष्य की चुनौतियों के लिए भागीदार क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय और अमेरिकी सेनाओं की अंतर-क्षमता में सुधार करना है।
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तानी मीडिया के सवाल का जवाब देकर कहा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-अमेरिका द्वारा आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास ने 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौतों की भावना का उल्लंघन किया और द्विपक्षीय विश्वास बनाने में मदद नहीं की। चीन ने सैन्य अभ्यास पर भारतीय पक्ष से चिंता व्यक्त की है।
हालांकि चीनी रक्षा मंत्रालय ने पहले भी कहा था कि बीजिंग इस सैन्य अभ्यास को भारत-चीन सीमा मामलों में तीसरे पक्ष द्वारा दखल देने के प्रयास के रूप में देखता है जो पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि के खिलाफ हुआ।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर जवाब देकर कहा कि चीन को द्विपक्षीय समझौतों पर टिके रहने की जरूरत है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह तीसरे पक्ष के संदर्भ को नहीं समझता है। चीन को पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के संदर्भ में द्विपक्षीय समझौतों पर टिके रहने की जरूरत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा भारत-अमेरिका अभ्यास पूरी तरह से अलग हैं और मुझे नहीं पता कि इस क्या रंग दिया जा रहा है। इस टारगेट करते हुए कहा जा रहा है कि ये मौजूदा समझौतों का उल्लंघन कर रहा है। मेरे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है जिससे मैं इससे सहमत हो सकूं।