बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में धान खरीदी को बाधित करने वाले सहकारी समिति के कर्मचारियों पर जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। 13 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया, जबकि 3 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह कार्रवाई अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (ईएसएमए) के तहत की गई है। सरकार ने धान खरीदी को अति आवश्यक सेवा घोषित किया है, इसलिए हड़ताल करने वालों पर कोई रियायत नहीं। प्रशासन ने साफ संदेश दिया है कि किसानों की मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा।
खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू हुई। लेकिन सहकारी समिति के कई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। इससे खरीदी केंद्रों पर काम रुकने का खतरा था। किसानों को परेशानी हो सकती थी। इसलिए प्रशासन ने दो बड़े कदम उठाए। इसके तहत नए कर्मचारियों की तुरंत नियुक्ति की गई और आरएईओ, पटवारी और नए कंप्यूटर ऑपरेटर लगाए गए। साथ ही ईएसएमए के तहत सख्ती की गई। ड्यूटी छोड़ने वालों पर बर्खास्तगी और एफआईआर दर्ज कराई गई।
जिला खाद्य अधिकारी पुनीत वर्मा ने कहा, "किसान साल भर मेहनत करता है। उसकी फसल समय पर खरीदना हमारी जिम्मेदारी है। हड़ताल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।"
कार्रवाई के तहत 13 कर्मचारी प्रबंधक और विक्रेता बर्खास्त हुए हैं। ये लगातार ड्यूटी से गायब थे और प्रशासन के आदेश नहीं मान रहे थे।
सिमगा विकासखंड:
मंजुला शर्मा – प्रबंधक, सिमगा समिति
राकेश कुमार टंडन – प्रबंधक, खोखली समिति
मूलचंद वर्मा – प्रबंधक, धुर्राबांधा समिति
धर्मेंद्र साहू – प्रबंधक, रोहांसी समिति
रामकुमार साहू – प्रबंधक, तिल्दा समिति
कसडोल विकासखंड:
नंद कुमार पटेल – विक्रेता, गिरौद समिति
गोकुल प्रसाद साहू – विक्रेता, हसुआ समिति
ललित साहू – विक्रेता, थरगांव समिति
रामस्वरूप यादव – विक्रेता, कटगी समिति
खेलसिंग कैवर्त्य – विक्रेता, चिखली समिति
अमित साहू – विक्रेता, कोसमसरा समिति
भीम साहू – विक्रेता, सरखोर समिति
रविकमल – विक्रेता, लवन समिति
ये सभी बिना अनुमति ड्यूटी छोड़ चुके थे और धान खरीदी में बाधा डाल रहे थे।
तीन कर्मचारियों पर एफआईआर के लिए शाखा प्रबंधक को पत्र भेजा गया है। इनमें राजेंद्र चंद्राकर – प्रभारी प्रबंधक, कोनारी समिति (पलारी) , बीरेंद्र साहू – कंप्यूटर ऑपरेटर, रोहरा समिति और टीका राम वर्मा – विक्रेता, रिसदा समिति शामिल हैं।
इन पर कई आरोप लगे हैं, जिनमें जानबूझकर खरीदी रोकना, आदेश के बावजूद केंद्र पर न आना, किसानों को गलत जानकारी देना और प्रशासन के काम में रुकावट डालना शामिल है।
--आईएएनएस
