कोच्चि: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कोच्चि में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर संवैधानिक संस्थाओं को मान न दिए जाने का आरोप लगाया। शाह आगामी महत्वपूर्ण स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर भाजपा के राज्य नेतृत्व को तैयार करने हेतु शुक्रवार को केरल की वाणिज्यिक राजधानी कोच्चि के एक दिवसीय दौरे पर हैं।
एक कार्यक्रम में शाह ने बताया कि देश को नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियां पिछली सत्ता की देन है। उन्होंने कहा, "जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण देश के लिए नासूर जैसा है। 2014 में नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इन तीनों की जगह 'पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस' की शुरुआत हुई है और जिसे पूरा देश अनुभव कर रहा है। करप्शन को दूर करने का प्रयास देश के पीएम ने किया है। चूंकि स्थिरता है, इसलिए लंबे समय तक नीतियां चल रही हैं। इस 11 साल के कालखंड को जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि जनता के देश में पहले जो सवाल था कि भविष्य कैसा होगा, वो अब नहीं है। आज 140 करोड़ लोग मानते हैं कि 2047 में भारत टॉप पर होगा और इसे लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है।
वहीं, राहुल गांधी को लेकर पूछे गए सवाल पर बोले, जब से वो मुखिया बने हैं तब से संवैधानिक संस्थाओं को शक की नजर से देख रहे हैं। अभी जो एसआईआर हो रहा है, वो 2003 में भी हुआ था, 1961 में भी हुआ था और 1970 में भी हुआ था। तो अब समस्या क्या है? अगर एसआईआर से कोई भी नागरिक या राजनीतिक पार्टी संतुष्ट नहीं है, तो वह असेंबली के रिटर्निंग ऑफिसर, जिला कलेक्टर और राज्य के चीफ इलेक्शन ऑफिसर के सामने अपील कर सकता है।
शाह ने सदन में पेश तीन विधेयकों को लेकर कहा कि लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है। ये बिल किसी पार्टी के लिए नहीं है। ये बिल भाजपा के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।
बता दें कि मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संघ राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) बिल 2025, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 और संविधान (130वां संशोधन) बिल 2025 पेश किए थे। जिसमें प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है। विपक्ष ने इन बिलों का विरोध किया।