Amit Malviya Attack : वंदे मातरम विवाद पर अमित मालवीय बोले, कांग्रेस और ममता बनर्जी की देशभक्ति की बातें राजनीतिक दिखावा

अमित मालवीय बोले—कांग्रेस और ममता का वंदे मातरम् प्रेम सिर्फ राजनीतिक नाटक
वंदे मातरम विवाद पर अमित मालवीय बोले, कांग्रेस और ममता बनर्जी की देशभक्ति की बातें राजनीतिक दिखावा

नई दिल्ली: भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि संसद में जारी हालिया सलाह को लेकर दोनों दल जिस तरह आपत्ति जता रहे हैं, वह पूरी तरह 'राजनीतिक नौटंकी' है, जबकि यह नियम दशकों से लागू है और किसी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि संसद के प्रिसाइडिंग ऑफिसर्स द्वारा बनाया गया था।

मालवीय ने अपने 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि अगर यह इतना स्पष्ट रूप से दिखावटी नहीं होता तो कांग्रेस पार्टी और ममता बनर्जी का वंदे मातरम के प्रति उमड़ा अचानक प्रेम हास्यास्पद होता। ये वही कांग्रेस है जिसने 1935 में 'वंदे मातरम' को सांप्रदायिक तुष्टीकरण के लिए छोटा कर दिया था और आज देशभक्ति का भाषण दे रही है। ममता बनर्जी अपने मुस्लिम वोट बैंक को नाराज करने के डर से 'वंदे मातरम' या 'भारत माता की जय' कहने की हिम्मत नहीं करतीं, अब कैमरों के सामने आक्रोश दिखा रही हैं।

मालवीय ने कहा कि सच्चाई यह है कि संसद ने दशकों से शिष्टाचार के लंबे समय से स्थापित और गैर-राजनीतिक नियमों का पालन किया है, जिन्हें किसी सरकार ने नहीं, बल्कि संविधान सभा, लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों ने स्वयं निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि संसदीय बुलेटिन नियमित होते हैं, राजनीतिक नहीं। प्रत्येक सत्र से पहले राज्यसभा सचिवालय संसदीय बुलेटिन जारी करता है, जिसमें सदस्यों को संसदीय रीति-रिवाजों और प्रथाओं के बारे में जानकारी दी जाती है, जो दशकों से हर सत्र में किया जाता रहा है। इसमें सदस्यों को सदन के भीतर अनुशासन और व्यवहार से जुड़े नियम याद दिलाए जाते हैं। यह प्रक्रिया दशकों से चली आ रही है।

अमित मालवीय ने सच्चाई बताते हुए कहा कि नियमों की शुरुआत संविधान सभा (15 मार्च 1948) में हुई थी, तब एक सदस्य बार-बार 'थैंक यू' बोल रहे थे, जिस पर अध्यक्ष ने सख्ती से कहा था, 'नो थैंक्स, नो थैंक यू, नो जय हिंद, नो वंदे मातरम, नथिंग ऑफ काइंड। यानी सदन के भीतर कोई भी नारा या संबोधन स्वीकार नहीं है।

भाजपा आईटी सेल प्रमुख ने आगे कहा कि चीन आक्रमण पर बहस के दौरान जब एक सदस्य ने 'बोलो भारत माता की जय' कहा तो स्पीकर ने टोका, 'यह कोई सार्वजनिक रैली नहीं है। संसद में ऐसे नारे नहीं लगते।' ये नियम कौल और शकधर जैसे संसदीय प्रक्रिया के आधिकारिक ग्रंथ में दर्ज हैं। 2003 से 2006 तक 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' का स्पष्ट उल्लेख था। 2007-2021 तक संक्षिप्त रूप में 'नो स्लोगन' लिखा जाता रहा। 2021 से फिर पूरा टेक्स्ट प्रकाशित हो रहा है।

मालवीय ने बताया कि 24 नवंबर 2025 के विंटर सेशन के लिए जारी बुलेटिन में भी वही पुरानी सलाह दोहराई गई। सदन के भीतर कोई नारा नहीं लगाया जाए।

उन्होंने कहा कि यह सरकार का आदेश नहीं, न ही राष्ट्रीय गीत पर पाबंदी, बल्कि सिर्फ संसदीय मर्यादा बनाए रखने का नियम है जैसा संविधान सभा के नेताओं ने तय किया था। अमित मालवीय ने कहा कि असल मुद्दा नियम नहीं, बल्कि कांग्रेस और ममता बनर्जी की बनी बनाई राजनीति है।

उन्होंने सवाल उठाया कि कांग्रेस, जिसने 'वंदे मातरम' को वर्षों तक नकारा, आज अचानक राष्ट्रभक्ति की दुहाई क्यों दे रही है? ममता बनर्जी ने अपना पूरा राजनीतिक जीवन राष्ट्रवादी नारों से दूर रहकर किसी एक समुदाय को नाराज न करने की कोशिश की और अब प्रतिबंधों को लेकर चिंता जता रही हैं? यह वंदे मातरम के प्रति प्रेम नहीं, बस राजनीतिक नाटक है।

--आईएएनएस

 

 

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