नई दिल्ली: एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को महागठबंधन में शामिल होने के लिए लिखे पत्र पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि मैं किसी के दरवाजे खुलने या बंद होने का इंतजार नहीं कर रहा हूं। यह हमारी विचारधारा का मामला था, इसलिए अपनी ओर से उन्हें प्रस्ताव भेजा गया था।
एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैं किसी के दरवाजे खुलने या बंद होने का इंतजार नहीं कर रहा हूं। यह हमारी विचारधारा का मामला था। यह सुनिश्चित करना था कि बिहार में धर्मनिरपेक्ष वोट विभाजित न हों। इसलिए हमने उन लोगों को भी प्रस्ताव दिया, जिन्होंने पहले हमें नुकसान पहुंचाया था। हमारे प्रस्ताव पर उन्होंने गंभीरता से विचार नहीं किया। हम लोग किसी की बैसाखी पर चलने वाले नहीं हैं और हम अकेले चलकर आए हैं, आगे भी अकेले चलने के लिए तैयार हैं।"
अख्तरुल ईमान ने आगे कहा, "मैं अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग से यही अपील करता हूं कि अगर उनके वोट से सरकार बन सकती है या गिर सकती है तो वे अपने वोट का इस्तेमाल खुद के लिए करें, ताकि उनकी तकदीर बदल पाए।"
राजद के आरोपों पर एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, "भाजपा की बी-टीम कौन है, ये बात तो समय बता देगा। राजद को 2005 का वो किस्सा याद करना चाहिए, जब रामविलास पासवान की पार्टी को 29 सीटें मिली थीं, जबकि राजद को 75 सीटें मिली थीं। रामविलास पासवान ने उस दौरान मांग की थी कि अल्पसंख्यक समाज के किसी भी नेता का नाम पेश कर दो और मैं आपको समर्थन देने को तैयार हूं। राजद ने भाजपा के हाथों में सरकार जाने दी, लेकिन अल्पसंख्यक समाज के किसी भी नेता के नाम पर सहमति नहीं जताई। अब उन लोगों को इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती है।"
उन्होंने कहा, "मेरा लक्ष्य बिहार के अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग को इंसाफ दिलाना है। मंदिर तोड़ने और मस्जिद बनाने के नाम पर राजनीति बहुत हो गई है। दलितों का उत्थान और शोषितों को सम्मान दिलाने के लिए मैं लड़ाई लड़ रहा हूं।"