आश्विन कृष्ण अष्टमी पर जीवित्पुत्रिका व्रत और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ संयोग

नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और जीवित्पुत्रिका व्रत है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में रहेगा और चंद्रमा रात के 8 बजकर 3 मिनट तक वृषभ राशि में रहेगा। इसके बाद मिथुन राशि में गोचर करेगा।

दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम के 4 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

पुराणों के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। एक कथा के अनुसार, इसका संबंध महाभारत काल से है। गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन ने खुद को गरुड़ को सौंपकर एक नागिन के बेटे की जान बचाई थी, जिसके बाद से संतान की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करने का प्रचलन शुरू हुआ। माताएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं, जिससे उनकी संतानों को कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनकी दीर्घायु, सुख-समृद्धि व कल्याण होता है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। नेपाल में इसे जितिया उपवास के रूप में जाना जाता है।

इसी के साथ ही, इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से यश, कीर्ति, धन, ऐश्वर्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दरअसल, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी रविवार की सुबह 5 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर सोमवार की सुबह 3 बजकर 6 मिनट तक रहेगी।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को मोर पंख चढ़ाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जो परिवार के सदस्यों को बुरी नजर और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाती है।

--आईएएनएस

एनएस/एएस

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