VK Krishna Rao Biography: 'पीपुल्स जनरल' थे वीके कृष्ण राव, भारत के दूरदर्शी सैन्य अफसर को देश करता है याद

जनरल वीके कृष्ण राव: युद्धवीर, सेनापति और राष्ट्रसेवक के रूप में अमर योगदान की याद
जयंती विशेष: 'पीपुल्स जनरल' थे वीके कृष्ण राव, भारत के दूरदर्शी सैन्य अफसर को देश करता है याद

नई दिल्ली: 'पीपुल्स जनरल' के नाम से प्रसिद्ध जनरल वीके कृष्ण राव को एक महान और दूरदर्शी सैन्य अधिकारी के रूप में 16 जुलाई को पूरा देश याद करता है। वीके कृष्ण राव भारत के पूर्व थल सेना प्रमुख थे। उनकी असाधारण सेवाओं के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।

1923 में विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में जन्मे वीके कृष्ण राव न सिर्फ एक साहसी योद्धा थे, बल्कि एक दूरदर्शी रणनीतिकार और निष्ठावान प्रशासक भी थे। उन्होंने अगस्त 1942 में महार रेजिमेंट से सेना में कमीशन प्राप्त किया और द्वितीय विश्व युद्ध के मोर्चों पर बर्मा, उत्तर-पश्चिम सीमांत और बलूचिस्तान में जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने देश के विभाजन से पहले पूर्वी और पश्चिमी पंजाब में भी हिंसाग्रस्त हालात में सेवा दी।

1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वे जम्मू-कश्मीर में 3 महार बटालियन के कंपनी कमांडर रहे, जिस बटालियन की बाद में उन्होंने कमान संभाली। वे 1949 से 1951 के बीच राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के संस्थापक प्रशिक्षकों में शामिल थे।

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (1971) में जनरल राव ने सिलहट सेक्टर में 8 माउंटेन डिवीजन के जीओसी के रूप में निर्णायक भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और लीडरशिप ने भारतीय सेना को ऐतिहासिक विजय दिलाई। यह वही युद्ध था जिसने भारत के सैन्य पराक्रम को वैश्विक मान्यता दिलाई। उस पराक्रम के स्तंभों में जनरल राव का नाम सदा के लिए अमर हो गया।

उन्होंने जून 1981 में भारतीय सेना के 14वें प्रमुख के रूप में पदभार संभाला और 1983 में सेवानिवृत्त हुए। जून 1981 में भारतीय सेना प्रमुख का दायित्व संभालते हुए उन्होंने सेना को आधुनिक सोच, तकनीक और रणनीति से सुसज्जित किया। वे न सिर्फ एक सेनाध्यक्ष थे, बल्कि एक दर्शनशील लीडर थे, जो हर जवान में राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य देखते थे।

सेना से सेवानिवृत्ति के बाद जनरल राव ने नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल के रूप में भी सेवा की। जनरल राव 1989-90 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, जब राज्य में आतंकवाद अपने चरम पर था।

उनके योगदानों को देखते हुए उन्हें आंध्र विश्वविद्यालय से मानद डी.लिट., श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से 'डॉक्टर ऑफ लॉ' और तेलुगु विश्वविद्यालय से 'डॉक्टर ऑफ लेटर्स' की मानद उपाधियां भी प्रदान की गईं।

 

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