वियतनाम ने अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप को रोकने के लिए निर्देश जारी किया

हनोई, 18 जुलाई (आईएएनएस)। वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह ने अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) को नियंत्रित करने के लिए मजबूत और समन्वित प्रयासों का आह्वान करते हुए एक निर्देश जारी किया है। स्थानीय दैनिक समाचार पत्र नहान दान (पीपुल) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

रिपोर्ट में कृषि एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया कि 2025 की शुरुआत से देश के 34 में से 28 प्रांतों में 514 से अधिक अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) के प्रकोप हुए हैं, जिसके कारण 30 हजार से अधिक सूअरों की मौत हो गई है या उन्हें मारने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, निर्देश में स्थानीय अधिकारियों से कहा गया है कि वे बीमारी के प्रकोप को जल्दी पहचानें और खत्म करें, सख्ती से पशुओं को मारें और अवैध सुअर व्यापार व शव फेंकने की गतिविधियों को रोकें, जो वायरस फैला सकते हैं।

पशु चिकित्सा एजेंसियों को किसानों का मार्गदर्शन करना चाहिए, सुरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करना चाहिए और अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप की तुरंत सूचना देनी चाहिए। वहीं, मंत्रालयों को वित्त पोषण, निगरानी, तस्करी विरोधी कानून को लागू करने और अफ्रीकी स्वाइन बुखार की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करना चाहिए।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) एक बहुत संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सुअरों को प्रभावित करती है। यह इंसानों के लिए खतरा नहीं है और न ही अन्य जानवरों को प्रभावित करती है। लेकिन, यह सुअरों में उच्च मृत्यु दर के कारण भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे व्यापार और उत्पादन में रुकावट आती है।

एएसएफ एक ऐसे वायरस के कारण होता है जो पर्यावरण के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है और विभिन्न पोर्क उत्पादों में जीवित रह सकता है।

संक्रमित सूअरों में कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिनमें तेज बुखार, भूख न लगना, त्वचा पर घाव, दस्त, उल्टी, खांसी, सांस लेने में कठिनाई और कुछ मामलों में अचानक मृत्यु शामिल है।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) की शुरुआत अफ्रीका से हुई, लेकिन यह यूरोप, एशिया और हाल ही में कैरेबियन तक फैल गया है। सुअरों की आबादी के लिए यह वैश्विक खतरा बन गया है।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) का कोई इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसे रोकना ही इसका मुख्य उपाय है। यह इंसानों के लिए खतरा नहीं है।

--आईएएनएस

पीएसके

Related posts

Loading...

More from author

Loading...