थेरैप्यूटिक फास्टिंग : भूखा रहना नहीं, शरीर की सफाई और ताकत देने की कुंजी

नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। प्रकृति के जरिए शरीर की खुद की हीलिंग पावर को सक्रिय करने को नेचुरोपैथी कहते हैं। इसका सबसे बड़ा सिद्धांत है कि हमारा शरीर खुद से ठीक होने की क्षमता रखता है, बस उसे सही माहौल और समय चाहिए।

थेरैप्यूटिक फास्टिंग यानी चिकित्सीय उपवास, इसी सिद्धांत पर आधारित है। यह कोई भूखा रहना या शरीर को कमजोर करना नहीं है, बल्कि एक संतुलित उपवास होता है, जो शरीर को अंदर से साफ और मजबूत बनाता है।

जब हम लगातार खाते रहते हैं, तो शरीर को पाचन में बहुत ऊर्जा लगानी पड़ती है। लेकिन जब हम कुछ समय के लिए खाना बंद करते हैं, तो वही ऊर्जा शरीर की मरम्मत, सफाई और नई कोशिकाएं बनाने में लगती है। इसे ही सेलुलर रीजनरेशन या सेल रिन्यूअल कहते हैं। इस दौरान शरीर जमा हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जिससे सूजन (इंफ्लेमेशन) कम होती है और इम्यून सिस्टम बेहतर होता है।

थेरैप्यूटिक फास्टिंग महिलाओं की हार्मोनल बैलेंस में मदद करता है, पीसीओएस जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक होता है और मूड व मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।

रिसर्च से यह भी पता चला है कि उपवास करने से ब्लड शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल पर अच्छा असर पड़ता है, यानी यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी स्थिति में एक प्राकृतिक सहायक उपचार हो सकता है।

नेचुरोपैथी में कहा जाता है कि बीमारी कोई बाहरी दुश्मन नहीं, बल्कि शरीर का एक संकेत है कि उसे आराम चाहिए। जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर को पाचन से लेकर मानसिक शांति तक हर स्तर पर आराम मिलता है। साथ ही, यह शरीर के प्राकृतिक हीलिंग सिस्टम को एक्टिव कर देता है।

हालांकि, थेरैप्यूटिक फास्टिंग हमेशा किसी प्रशिक्षित नेचुरोपैथिक डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए उपवास की अवधि और तरीका भी अलग हो सकता है।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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