शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है दीर्घ प्राणायाम, अनिद्रा की समस्या होती है दूर

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। लगभग हम सभी ने फिल्म 'अवतार: द वे ऑफ वाटर' तो देखी ही होगी, जिसमें समंदर की गहराइयों को बड़े ही शानदार तरीके से दिखाया गया है। इस फिल्म में एक सीन है, जहां हीरो के बच्चों को पानी के नीचे सांस लेने की कला सिखाई जाती है। इसी दौरान उन्हें 'दीर्घ प्राणायाम' भी सिखाया जाता है। दरअसल, यह एक खास तरह का श्वास अभ्यास है, जिससे फेफड़ों की ताकत बढ़ती है और शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है। 'दीर्घ प्राणायाम' हमारी अपनी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, जिसे सदियों से योग में जगह मिली हुई है। भारत सरकार और योग विशेषज्ञ भी इस प्राणायाम के फायदों को मानते हैं।

भारत सरकार के मुताबिक, दीर्घ प्राणायाम करने से उम्र लंबी हो सकती है, क्योंकि यह शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है। जब हम रोज गहरी सांस लेते हैं और उसे धीरे-धीरे छोड़ते हैं, तो फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और शरीर को पूरी मात्रा में ऑक्सीजन मिलने लगती है। इससे न केवल शरीर तंदुरुस्त रहता है बल्कि बुढ़ापा भी देरी से आता है।

यह प्राणायाम छाती, फेफड़ों और मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। जब हम गहरी सांस भरते हैं, तो हमारे फेफड़े पूरी तरह फैलते हैं और इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है। छाती खुलती है और सांस से जुड़ी मांसपेशियां भी सक्रिय हो जाती हैं, जिससे शरीर को अच्छा सपोर्ट मिलता है।

दीर्घ प्राणायाम करने से तनाव काफी हद तक कम होता है। यह प्राणायाम मन को शांत करता है और दिमाग को रिलैक्स करता है। जब हम गहराई से सांस लेते हैं, तो दिल की धड़कन सामान्य होती है और चिंता, चिड़चिड़ापन या बेचैनी दूर होती है। इसी वजह से शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है।

यह प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है। जब फेफड़े पूरी क्षमता से काम करने लगते हैं, तो हर अंग तक ऑक्सीजन ठीक से पहुंचता है, जिससे थकान कम होती है और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है। साथ ही, इससे शरीर में जमा हुए दूषित तत्व भी बाहर निकलते हैं, जिससे रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है।

दीर्घ प्राणायाम मानसिक शांति देने वाला होता है। यह दिमाग को स्थिर करता है, जिससे ध्यान केंद्रित रहता है और पढ़ाई या काम में मन लगता है। साथ ही यह एकाग्रता बढ़ाने और अनिद्रा से छुटकारा दिलाने में भी बहुत कारगर होता है।

दीर्घ प्राणायाम करना बहुत आसान है। इसे करने के लिए आप किसी शांत जगह पर एक आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। फिर दोनों हाथों की हथेलियां पेट पर रखें और ध्यान रखें कि आपके दोनों हाथों की बीच की उंगलियां नाभि के पास एक-दूसरे को छू रही हों। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पेट को ढीला छोड़ दें। फिर सांस लेते हुए पेट को धीरे-धीरे फुलाएं। इस क्रिया को करीब 5 मिनट तक दोहराएं। सांस लेते वक्त ध्यान दें कि पहले सांस छाती में जाए, फिर पसलियों में और आखिर में पेट तक पहुंचे। सांस छोड़ते वक्त भी इसी क्रम का ध्यान रखें। सांस लेते वक्त कंधे ऊपर की ओर उठेंगे और छोड़ते वक्त नीचे आएंगे।

--आईएएनएस

पीके/केआर

Related posts

Loading...

More from author

Loading...