शरीर में जमा 'आम' है बीमारियों की जड़, आयुर्वेद की सफाई से पाएं नई ऊर्जा

नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हम अपने शरीर से बहुत काम तो करवाते हैं, लेकिन उसके अंदर सफाई का समय कम ही देते हैं। जैसे घर में धूल जम जाए तो बासीपन आ जाता है, वैसे ही शरीर में आम जमा होने लगते हैं। इसका असर थकान, सूजन, गैस, कब्ज, सुस्त मन और डल त्वचा के रूप में दिखता है।

आयुर्वेद कहता है कि पहले सफाई, फिर पोषण और फिर पुनर्निर्माण। शरीर में जमा आम ही अधिकांश रोगों की जड़ है। इसलिए समय-समय पर शरीर को भीतर से साफ करना जरूरी है।

शरीर की सफाई के लिए सबसे पहले यकृत (लिवर) की देखभाल करें। गर्म पानी के साथ कड़वे स्वाद जैसे करेले, मेथी और नीम का सेवन करें। हल्दी, जीरा और धनिया का पानी पीना भी फायदेमंद होता है। भू आमला रस और पुनर्नवा चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां मदद कर सकती हैं। घर पर लौकी-पुदीना सूप बनाकर सुबह एक कटोरी पीने से यकृत साफ होता है और पाचन सही रहता है।

दूसरी चीज है आंत और पाचन तंत्र की सफाई। रात को हल्का भोजन करने से आंतों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

तीसरी है गुर्दों (किडनी) की देखभाल। इसके लिए पर्याप्त पानी पीना, नमक कम करना और पैकेज्ड ड्रिंक से बचना जरूरी है। आयुर्वेद में गोक्षुर और घर पर जीरा-धनिया-किशमिश पानी पीने से मूत्रमार्ग साफ रहता है और सूजन कम होती है।

रक्त की सफाई के लिए हरी सब्जियां, चुकंदर और कड़वा स्वाद थोड़ा-थोड़ा शामिल करें। मंजिष्ठा और धनिया पानी नियमित लेने से रक्त साफ होता है और त्वचा में चमक आती है। त्वचा और पसीने के रास्ते से भी शरीर डीटॉक्स होता है। रोज सुबह वॉक और हल्का व्यायाम करें। गुनगुने पानी में हल्दी-नींबू या नीम चूर्ण जैसी चीजें लें। भाप, अनुलोम-विलोम और पर्याप्त नींद से भी त्वचा और मन साफ रहते हैं।

फेफड़ों की सफाई भी जरूरी है। धूल-धुआं से बचें, अच्छी नींद लें, थोड़ी घी का सेवन करें और रात में त्रिफला या इसबगोल का सेवन करें। अजवाइन भाप लेने से बलगम ढीला होता है और फेफड़े साफ रहते हैं।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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