सिर्फ मीठा खाने से नहीं होता मधुमेह, जान लें इसके पीछे के असल कारण

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। खराब दिनचर्या और जीवनशैली शरीर को कई बीमारियों से ग्रस्त कर सकती हैं। कम उम्र में ही लोग गंभीर बीमारियों का शिकार होने लगते हैं और कुछ बच्चे जन्म से ही बीमारियों से घिरे पैदा होते हैं।

खराब जीवनशैली की वजह से उपजी ऐसी ही एक बीमारी है-मधुमेह, जो शरीर को अंदर से खोखला और बीमार बना देती है। मधुमेह के बारे में लोगों को इतनी ही जानकारी है कि मीठा से परहेज करो और उम्रभर दवाइयां खाते रहो, लेकिन ऐसा नहीं है, तो चलिए आज पहले मधुमेह को समझते हैं और देसी तरीकों से बीमारी को नियंत्रित करने के उपाय भी जानते हैं।

जब शरीर में बनने वाला हॉर्मोन इंसुलिन का शरीर अच्छे से उपयोग नहीं कर पाता है तो ग्लूकोज रक्त में जमा होने लगता है। इंसुलिन बनाने का काम पैंक्रियाज करता है। पैंक्रियाज में किसी तरह की भी गड़बड़ी शरीर में बनने वाले इंसुलिन को प्रभावित करती है।

इंसुलिन के प्रभावित होते ही शरीर में शर्करा यानी ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और मरीज थकान से पीड़ित हो जाता है, उसका वजन गिरने लगता है, बार-बार पेशाब आने लगता है, पैरों में झुनझुनी होती है, आंखें कमजोर हो जाती हैं और किडनी और दिमाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है।

आयुर्वेद में मधुमेह को वात, कफ और मेद दोष का विकार माना गया है और यह शरीर को धीरे-धीरे कमजोर करता है। इस बीमारी के होने के कई कारण बताए गए हैं, जैसे ज्यादा वसा और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना खाना, ज्यादा तनाव लेना, नींद कम आना, शारीरिक क्रिया का कम होना और मीठे का सेवन कम करना। आयुर्वेद में मधुमेह को नियंत्रित करने के कई उपाय बताए गए हैं।

इसके लिए रोगी मेथी दाना को भिगोकर सुबह पानी पी सकता है। ताजा करेले और जामुन की गुठली से बना जूस भी मधुमेह में लाभकारी होता है। साबुत धनिया के बीज का पानी भी शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है और रात को त्रिफला चूर्ण का सेवन भी राहत देता है।

इसके साथ ही रोजाना कम से कम 30 मिनट तक पैदल चलें और हल्का व्यायाम भी करें। आहार में हरी सब्जियां, दालें और फलों का सेवन ज्यादा करें। चाय और कॉफी से दूरी बना लें और रात में हल्दी वाला दूध भी राहत देगा। इन सभी परिवर्तनों के साथ दवा लेना न छोड़ें। डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवा कम करें।

--आईएएनएस

पीएस/वीसी

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