स्नान : सिर्फ शरीर की सफाई नहीं, मन की भी शुद्धि का साधन

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। हम सबके लिए नहाना यानी स्नान एक रोज की आदत है, लेकिन आयुर्वेद में स्नान को सिर्फ शरीर की सफाई नहीं, बल्कि मन और आत्मा को ताजगी देने वाला एक संपूर्ण कर्म माना गया है। सही समय और तरीके से किया गया स्नान शरीर की थकान मिटाता है, मन को शांत करता है और दिनभर ऊर्जा से भर देता है।

अगर आप सुबह व्यायाम करते हैं, तो आयुर्वेद के अनुसार आपको व्यायाम के आधे से एक घंटे बाद स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर का तापमान संतुलित होता है और मांसपेशियां आराम पाती हैं। पसीना सूख जाने के बाद नहाने से सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं नहीं होतीं और शरीर पर ठंडे पानी का असर अच्छा पड़ता है।

नियमित स्नान से कई शारीरिक फायदे होते हैं। यह बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकता है और गंजेपन की समस्या को भी कम करता है। जब शरीर से गर्मी और गंदगी निकल जाती है, तो सिर की त्वचा में रक्तसंचार बढ़ता है, जिससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। यही कारण है कि पुराने समय में लोग स्नान को ध्यान और शुद्धिकरण का हिस्सा मानते थे।

स्नान का एक और बड़ा लाभ है, यह नींद को बेहतर बनाता है। जब आप नहाते हैं, तो शरीर और मन दोनों को ठंडक और आराम मिलता है। खासकर व्यायाम के बाद जब शरीर गर्म हो जाता है, तो स्नान करने से शरीर का तापमान सामान्य होता है और दिनभर की थकान मिट जाती है। इससे रात को नींद गहरी और सुकूनभरी आती है।

अगर आप स्नान को थोड़ा और खास बनाना चाहते हैं, तो इसमें कुछ प्राकृतिक चीजें भी शामिल करें। जैसे नहाने के पानी में कुछ बूंदें नीम, चंदन या गुलाब के अर्क की डालें। ये न सिर्फ सुगंध देंगे बल्कि त्वचा को भी ताजगी और चमक देंगे। सर्दियों में हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग करें, जबकि गर्मियों में ठंडे पानी से नहाना शरीर को ठंडक देता है।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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