सोनम-ऋतिक समेत लोग जिसे समझ रहे देसी, वो निकला फारसी! जाने समोसे की पूरी कहानी

नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। बचपन की यादों और बड़ों के किस्सों में एक चीज जरूर शामिल होगी, वो है 'समोसा'। सुबह की चाय हो, स्कूल की छुट्टी हो या फिर बर्थडे पार्टी का इंतजार... समोसे का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। लोगों के लिए यह सिर्फ एक स्नैक नहीं, बल्कि दिल से जुड़ी स्वाद की भावना होती है। आम लोगों को तो समोसा पसंद है ही, लेकिन इसके पीछे बॉलीवुड सितारे भी दीवाने हैं।

फैशन आइकन और बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर ने कपिल शर्मा शो में खुलासा किया था कि उन्हें समोसे काफी पसंद हैं। उन्होंने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया था कि वह एक दिन एक बार में 40 समोसे खा गई थीं। वहीं फिटनेस के बादशाह ऋतिक रोशन ने भी इसी शो में इंटरव्यू के दौरान बताया था उन्हें समोसा खाना इतना पसंद है कि वह एक बार में लगभग 12 समोसे तक खा सकते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये समोसा भारत में आया कहां से? इतिहास में झांकें तो पता चलता है कि समोसे ने भारत आने से पहले एक *लंबा सफर तय किया है। इसकी शुरुआत ईरान (फारस) में हुई थी, जहां इसे 'संबूसाग' कहा जाता था।

11वीं सदी के ईरानी इतिहासकार अबुल फजल बैहाकी ने अपनी किताब 'तारीख-ए-बैहाकी' में इसका जिक्र किया, जहां यह कीमा और मेवों से भरी एक शाही नमकीन डिश के रूप में परोसी जाती थी। तब इसे न तो तला जाता था और न ही आग में सेंका जाता था।

13वीं-14वीं शताब्दी में जब मध्य एशिया से व्यापारी और मुस्लिम आक्रमणकारी भारत आए, तो समोसा भी उनके साथ आया। अमीर खुसरो और इब्न बतूता जैसे लेखकों ने अपने लेखों में इसके स्वाद और लोकप्रियता का जिक्र किया। दिल्ली सल्तनत के अबुल फजल ने 'आइन-ए-अकबरी' लिखते हुए इसका नाम शाही पकवानों में शामिल किया। फिर इब्न बतूता ने भी दुनियाभर में समोसे का प्रचार किया।

17वीं वीं शताब्दी में पुर्तगाली भारत में आलू लाए और इस तरह आलू वाले समोसे बनाए। यहीं से समोसे का असली 'देसीकरण' शुरू हुआ। अब इसमें आलू के साथ-साथ मटर और मसाले जैसी चीजें भरकर गरम तेल में डीप फ्राई करके परोसा जाता है। आज समोसा न सिर्फ एक स्ट्रीट फूड है, बल्कि हर भारतीय की आत्मा से जुड़ा हुआ लाजवाब स्वाद है।

--आईएएनएस

पीके/केआर

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