सौ रोगों की एक रामबाण औषधि, जो शरीर की हर समस्या को करे दूर

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद में कुछ औषधियां हैं, जो कई रोगों पर एक साथ असर करती हैं, उन्हीं में से एक है चंद्रप्रभा वटी। यह दवा शरीर को शीतलता, स्फूर्ति और ऊर्जा देने का काम करती है। इसका जिक्र चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।

यह एक बहु उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है, जो खासतौर पर मूत्र विकार, डायबिटीज, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा और पाचन संबंधी रोगों में बेहद असरदार है।

चंद्रप्रभा वटी करीब 37 तरह की जड़ी-बूटियों और खनिजों से मिलकर बनती है। इसमें गुग्गुलु, शिलाजीत, त्रिकटु (सोंठ, पिप्पली, काली मिर्च), त्रिफला, हल्दी, गिलोय, विदंग, चित्रक, दालचीनी, इलायची जैसी सामग्रियां शामिल हैं। सब मिलकर शरीर की सफाई, ऊर्जा बढ़ाने और रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार करती हैं।

सबसे पहले बात करें मूत्र विकारों की, तो बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन या इंफेक्शन जैसी समस्याओं में यह दवा बहुत कारगर है। गुग्गुलु और शिलाजीत मूत्र मार्ग की सूजन को शांत करते हैं। यह किडनी और ब्लैडर की सफाई भी करती है। यदि आप लंबे समय तक इसका सेवन करते हैं तो इससे स्टोन या यूरिक एसिड की समस्या से भी राहत मिलती है।

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी चंद्रप्रभा वटी काफी फायदेमंद है। यह रक्त में शुगर लेवल को संतुलित करती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, जिससे इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ती है।

महिलाओं में यह औषधि हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड्स और पीसीओडी जैसी समस्याओं में राहत देती है। यह एंडोक्राइन सिस्टम को संतुलित रखती है और शरीर में प्राकृतिक हार्मोन संतुलन बनाए रखती है। त्वचा और बालों के लिए भी यह कमाल की दवा है। यह खून को साफ करती है, जिससे मुंहासे, दाग-धब्बे और झाइयां कम होती हैं।

इसके अलावा, इसमें मौजूद त्रिफला और त्रिकटु पाचन सुधारते हैं, गैस और एसिडिटी को कम करते हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म दुरुस्त होता है। यह थकान, कमजोरी और तनाव को भी दूर करती है। शिलाजीत और गिलोय शरीर को नई ऊर्जा देते हैं, वहीं दालचीनी और इलायची मन को शांत रखते हैं।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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