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नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ाई सिर्फ दवाइयों से नहीं, बल्कि शरीर, मन और जीवनशैली तीनों के संतुलन से जीती जा सकती है। आयुष मंत्रालय की मानें, तो नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) और योग कैंसर के इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह साबित हुआ कि अगर कैंसर के इलाज में योग, नेचुरोपैथी और सही खानपान को शामिल किया जाए, तो मरीजों की हालत में काफी सुधार देखा जा सकता है।
यह अध्ययन 18 महीनों तक 116 कोलन कैंसर (स्टेज 2 और 3) के मरीजों पर किया गया। इसमें दो समूह बनाए गए। एक समूह को केवल कीमोथेरेपी और सामान्य मनोवैज्ञानिक परामर्श दिया गया, जबकि दूसरे समूह को कीमोथेरेपी के साथ-साथ नेचुरोपैथी, योग और संतुलित आहार भी दिया गया।
नतीजे चौंकाने वाले रहे। जिन मरीजों ने योग और नेचुरोपैथी अपनाई, उनके खून में हीमोग्लोबिन और वाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ी, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बेहतर हुई। इसके अलावा, उनके ट्यूमर मार्कर सीईए का स्तर कम हुआ और लिवर व किडनी की कार्यक्षमता में सुधार देखा गया। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट जैसे थकान, मतली और कमजोरी भी कम हो गई।
मानसिक रूप से भी बड़ा बदलाव देखने को मिला। योग और ध्यान करने वाले मरीजों में चिंता और डिप्रेशन का स्तर काफी कम हुआ। उनकी जीवन की गुणवत्ता बेहतर हुई। वे खुद को ज्यादा शांत, सकारात्मक और ऊर्जावान महसूस करने लगे। खास बात यह रही कि 40 से 50 साल की उम्र वाले मरीजों में सबसे अच्छे नतीजे मिले। पुरुषों में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ी, जबकि महिलाओं में वाइट ब्लड सेल्स में सुधार देखा गया।
थेरेपी के हिस्से में योग के अंतर्गत प्राणायाम, हल्के आसन और साइक्लिक मेडिटेशन शामिल थे। नेचुरोपैथी में मिट्टी के पैक, जल-चिकित्सा (हाइड्रोथेरेपी) और मसाज का उपयोग किया गया। आहार में बाजरा, फल, सब्जियां और प्राकृतिक भोजन पर अधिक ध्यान दिया गया।
बता दें कि दुनिया भर में आज लाखों लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे हैं। भारत में भी कैंसर के काफी मरीज हैं। ऐसे में कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
--आईएएनएस
पीआईएम/एबीएम