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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। 14 नवंबर को दुनिया में विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाएगा। मधुमेह आज के समय में सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाली बीमारी है, जिससे युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं, ऐसे में मधुमेह से निदान पाना बहुत जरूरी है।
मधुमेह होने से पहले या शुरुआती चरण में शरीर कई तरह के संकेत देता है, जिसे प्री-डायबिटीज कहा जाता है। इसमें थकान होना, घाव जल्दी न भरना, वजन बढ़ना या घटना और बार-बार पेशाब आने की परेशानी होने लगती है।
प्री-डायबिटीज डायबिटीज की शुरुआत का संकेत देती है। इसमें रक्त में शर्करा सामान्य से अधिक होती है लेकिन इतनी भी अधिक नहीं होती है कि टाइप 1 डायबिटीज या दूसरी टाइप 2 डायबिटीज तक पहुंच जाए, लेकिन ये संकेत देती है कि भविष्य में आप मधुमेह का शिकार हो सकते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में खाली पेट ब्लड शुगर 70-99 एमजी/डीएल होना चाहिए, लेकिन प्री-डायबिटीज की स्थिति में ये 100-125 एमजी/डीएल तक पहुंच जाता है।
आयुर्वेद में प्रीडायबिटीज को “मधुमेह पूर्व अवस्था” कहा जाता है। आयुर्वेद में प्रीडायबिटीज के निदान के उपाय बताए गए हैं और माना गया है कि जीवनशैली और खान-पान में बदलाव के साथ इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है। प्रीडायबिटीज के निदान के लिए मेथी का पानी बहुत कारगर है। इसके लिए रात के समय एक चम्मच मेथी को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को हल्का गुनगुना करके पी सकते हैं और कुछ मेथी के दाने चबा सकते हैं।
करेले और जामुन का रस या चूर्ण भी प्री-डायबिटीज में राहत देता है। इसके लिए सुबह खाली पेट करेले और जामुन का रस पीएं या पाउडर को पानी में मिलाकर लें। ये रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करेंगे। त्रिफला चूर्ण को कई बीमारियों का नाशक कहा जाता है। रात के समय गुनगुने पानी में इसे लेने से रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित रहेगी।
इसके अलावा, रात में हल्दी वाला दूध और सुबह गिलोय का रस भी इस स्थिति में सहायक होते हैं। इसके साथ सफेद चावल, सफेद आटा और जूस पीने से परहेज करें। ऐसा करने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है।
सिर्फ आहार में बदलाव लाने से कुछ नहीं होगा, इसके साथ शरीर को एक्टिव रखना भी जरूरी है। रोजाना 30 मिनट तक सैर करें। खाना खाने के बाद भी टहलने की आदत रखें और योग और प्राणायाम भी करें।
--आईएएनएस
पीएस/एएस