नीम जैसा दिखने वाला 'बकायन', सेहत के लिए है वरदान!

नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। आयुर्वेद के पास ऐसी कई औषधियां हैं, जिनके सेवन से तंदुरुस्त रहा जा सकता है। ऐसा ही एक नाम है बकायन, जिसे महानिम्ब या अजेदारच के नाम से भी जाना जाता है। बकायन के फल, पत्ते, छाल और जड़ का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

बकायन का वैज्ञानिक नाम 'मेलिया अजेडाराच' है। यह दिखने में नीम के पेड़ जैसा होता है, लेकिन इसकी पत्तियां आकार में थोड़ी बड़ी होती हैं। इसके फूल गुच्छों में लाल रंग के होते हैं और इसके फल भी नीम के फलों की तरह गोल होते हैं। यह भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है और इसकी लकड़ी इमारती कार्यों के लिए उपयोगी है।

सुश्रुत संहिता में बकायन का उल्लेख फोड़े, चोट और घावों के उपचार में एक औषधीय वृक्ष के रूप में किया गया है। माना जाता है कि किसी भी तरह के घाव में इसकी पत्तियों का रस लगाना लाभकारी होता है। साथ ही यह त्वचा को निखारने में भी मदद करता है। यह आंखों के रोगों, मुंह के छालों, पेट दर्द और किडनी से संबंधित रोगों के संक्रमणों में भी लाभकारी माना जाता है।

इसके फलों के बीज बवासीर की दवाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके फूलों से बना गुलकंद बवासीर की समस्या में बेहद फायदेमंद माना जाता है।

बकायन के फूल शीतल और स्वाद में कसैले होते हैं, जो बवासीर में होने वाली सूजन, दर्द और रक्तस्राव को कम करने में मदद करते हैं। गुलकंद को चीनी के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जिससे यह न केवल स्वादिष्ट बनता है, बल्कि इसके गुण को शरीर में आसानी से पहुंचाने में भी मदद करता है।

आयुर्वेद के अनुसार, बकायन कफ, पित्त और कृमि (पेट के कीड़े) नाशक है। खून साफ करने वाला भी माना गया है।

आयुर्वेद में इसके फूल, फल, छाल और पत्तियां सभी औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। साथ ही इसके बीजों का तेल विभिन्न प्रकार के लेप बनाने में इस्तेमाल होता है। यह आंखों की कमजोरी, पानी आना, लालिमा और खुजली जैसे रोगों को दूर करने में भी सहायक है।

हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बिना चिकित्सीय परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

--आईएएनएस

एनएस/केआर

Related posts

Loading...

More from author

Loading...