नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। एक अध्ययन में पाया गया है कि व्यायाम की कमी की तुलना में ज्यादा कैलोरी का सेवन दुनिया भर में मोटापे के मुख्य कारणों में से एक बन सकता है।
कई एक्सपर्ट मानते हैं कि हमारी सोसायटी के इंडस्ट्रियल होने से फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है, जिससे मोटापा बढ़ा है। लेकिन अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि अमीर देशों के लोग रोजाना उतनी ही या उससे भी ज्यादा ऊर्जा खर्च करते हैं जितना पहले करते थे। इसका मतलब है कि लोगों की कम एक्टिविटी मोटापे की वजह नहीं है।
अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरमन पोंटजर ने कहा है कि मोटापा बढ़ने का सबसे बड़ा कारण हमारे खाने में बदलाव है, न कि हमारी शारीरिक गतिविधि में कमी।
एक हाल ही में प्रकाशित लेख में, शोधकर्ताओं ने दुनिया के 34 अलग-अलग जगहों से 4,200 से ज्यादा लोगों, जिनकी उम्र 18 से 60 साल के बीच थी, की रोजाना खर्च होने वाली ऊर्जा, शरीर में मौजूद फैट की मात्रा और उनके बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे देश अमीर होते गए, लोगों की कुल ऊर्जा खर्च थोड़ी कम हुई, लेकिन मोटापा बढ़ने में इसका योगदान काफी कम है।
शोधकर्ता अमांडा मैकग्रॉस्की ने बताया कि मोटापा बढ़ने का असली कारण केवल कम फिजिकल एक्टिविटी नहीं है, बल्कि खाने-पीने की आदतों में बदलाव है। जैसे-जैसे देश अमीर होते हैं, लोग अपने खाने में बदलाव करते हैं, जिससे शरीर में ज्यादा फैट बढ़ता है।
इस शोध का मतलब यह नहीं है कि हमें व्यायाम या शारीरिक गतिविधि को कम महत्व देना चाहिए। व्यायाम करना बेहद जरूरी है और हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह आंकड़े समझाते हैं कि मोटापा कम करने के लिए आहार और व्यायाम दोनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
अध्ययन में कहा गया है कि खाना और व्यायाम दोनों बहुत जरूरी हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं।
--आईएएनएस
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