मोरारजी देसाई योग संस्थान के निदेशक बोले, 'स्वास्थ्य सेवा में पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देना जरूर'

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। आयुष मंत्रालय के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेशक डॉ. काशीनाथ समागंडी ने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) जैसे वैश्विक लक्ष्यों को तभी पूरा किया जा सकता है, जब पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य सेवा वितरण में शामिल किया जाए।

एसोचैम (एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) के सौंदर्य, स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा के सम्मेलन में डॉ. समागंडी ने कहा कि भारत का स्वास्थ्य भविष्य तभी बेहतर होगा जब हम पारंपरिक इलाज की पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा नीति और इलाज के तरीकों के साथ जोड़ेंगे।

उन्होंने कहा, "संपूर्ण स्वास्थ्य हर इंसान का बुनियादी अधिकार है, और अगर भारत को यह पूरी तरह से हासिल करना है, तो हमें पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को देश की मुख्य स्वास्थ्य व्यवस्था में शामिल करना होगा।"

इस सम्मेलन में इलाज, स्वास्थ्य और नीति से जुड़े लोग मौजूद रहे। सभी ने मिलकर इस विषय पर बातचीत की कि पारंपरिक चिकित्सा, सौंदर्य और स्वास्थ्य को कैसे आगे बढ़ाया जाए।

डॉ. ब्लॉसम कोचर ने कहा, "सौंदर्य और स्वास्थ्य सिर्फ अच्छे दिखने की बात नहीं है, यह हमारे अंदरूनी संतुलन, शांति और मजबूत सेहत का संकेत है। अगर हम प्रकृति, विज्ञान और अपनी देखभाल को मिलाकर आगे बढ़ें, तो हम न केवल अच्छे दिखेंगे, बल्कि अंदर से भी ऊर्जावान महसूस करेंगे।

जीऑन लाइफसाइंसेज के सीएमडी सुरेश गर्ग ने कहा, "अगर उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार मिलकर काम करें, तो हम ऐसे सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता वाले समाधान बना सकते हैं जिन पर लोग भरोसा करें।"

उन्होंने कहा कि इससे भारत दुनिया में लीडर बन सकता है और यह प्रयास हमारे देश ही नहीं, दुनिया भर के लाखों लोगों की जिंदगी पर जबरदस्त असर डाल सकता है।

सम्मेलन में बातचीत इस बात पर केंद्रित रही कि भारत की प्राचीन सुंदरता और सेहत से जुड़ी परंपराएं दुनिया में फैल रहे समग्र सेहत के विचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

--आईएएनएस

पीके/केआर

Related posts

Loading...

More from author

Loading...