मिर्गी से ज्यादा खतरनाक है लोगों का इसके प्रति नजरिया, जानिए किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। आज भी हमारे समाज में मिर्गी (एपिलेप्सी) को लेकर कई मिथक और गलतफहमियां फैली हुई हैं। लोग इसे किसी डरावनी या लाइलाज बीमारी की तरह देखते हैं, जबकि सच यह है कि मिर्गी एक उपचार योग्य न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। दिक्कत बीमारी में नहीं, बल्कि लोगों की सोच में है।

कई बार तो शादी के रिश्ते तक टूटने की नौबत आ जाती है। यह व्यवहार न केवल गलत है, बल्कि मरीज और परिवार पर अनावश्यक मानसिक दबाव भी डालता है। समाज की यही नासमझी मिर्गी से जुड़े लोगों की सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है।

मिर्गी को अगर सरल तरीके से समझें, तो यह ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी गड़बड़ा जाती है। जब ऐसा होता है, तो मरीज को बार-बार दौरे आ सकते हैं। यह समस्या सिर्फ किसी एक उम्र में नहीं होती। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, किसी को भी हो सकती है। इसके कारण भी कई तरह के हो सकते हैं, जैसे सिर पर चोट लगना, दिमाग में संक्रमण, जेनेटिक वजह या कोई और न्यूरोलॉजिकल समस्या।

दौरे के समय मरीज का शरीर अनियंत्रित हो सकता है, कभी भ्रम या धीमी सोच की स्थिति बन जाती है और कई बार व्यक्ति को अचानक डर या अजीब सेंसेशन भी महसूस हो सकता है।

मिर्गी की समस्या को कंट्रोल करना मुश्किल नहीं है। बस जीवनशैली में सुधार और कुछ सावधानियां बनाए रखने की जरूरत है।

मिर्गी को कंट्रोल करना मुश्किल नहीं है। बस नियमित दिनचर्या और सावधानियां जरूरी हैं। सबसे पहले तो दवाइयां समय पर लेना बेहद जरूरी है। दवा छोड़ना या बीच-बीच में मिस करना दौरे की संभावना बढ़ा देता है। अच्छी नींद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि नींद की कमी दिमाग पर सीधा असर डालती है और दौरे का जोखिम बढ़ाती है। कॉफी, एनर्जी ड्रिंक या ज्यादा सोडा पीने से बचना चाहिए, क्योंकि यह कई लोगों में ट्रिगर का काम करता है।

इसके अलावा शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है। पानी की कमी तनाव पैदा करती है, जो दिमाग को प्रभावित कर सकता है। बच्चों में तेज चमकती या फ्लिकरिंग लाइट्स भी दौरे को ट्रिगर कर सकती हैं, इसलिए उनसे बचना चाहिए।

--आईएएनएस

पीआईएम/वीसी

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