जोड़ों के दर्द से थायराइड तक, कचनार के अद्भुत फायदे!

नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। कचनार को प्रकृति का अनमोल खजाना कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि इसमें कई सारे औषधीय गुण हैं, जो जोड़ों के दर्द, थायराइड, पेट के पाचन आदि को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़े फायदों के बारे में।

चरक संहिता में कचनार को "वामनोपगा" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में उपयोगी है। इसे माउंटेन एबोनी भी कहते हैं। आयुर्वेद में यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है।

बता दें, कचनार का वैज्ञानिक नाम ‘बौहिनिया वैरीगेटा’ है। यह चीन से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप तक पाया जाता है। भारत में खास तौर पर पहाड़ी इलाकों में इसे बहुत पसंद किया जाता है, और हिमाचल प्रदेश इसका एक प्रमुख स्थान है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस की स्टडी के मुताबिक, इस पौधे का आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में मधुमेह, सूजन, श्वसन संबंधी समस्याओं और त्वचा रोगों जैसे विभिन्न रोगों के उपचार में कारगर बनाया गया है। इसके औषधीय महत्व के अलावा, बी. वेरिएगाटा कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। इसे अक्सर इसकी सुंदरता और प्रतीकात्मक मूल्य के लिए सम्मानित किया जाता है; इसके फूलों का उपयोग धार्मिक समारोहों, त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में किया जाता है। लोककथाओं, पौराणिक कथाओं और स्थानीय परंपराओं के साथ पौधे का जुड़ाव विभिन्न समुदायों में इसके सांस्कृतिक महत्व को और भी रेखांकित करता है। हमारे देश में इसे देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती को अर्पित किया जाता है।

कचनार के पत्तों का रस मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। वहीं, इसके फूलों का लेप त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कि एक्जिमा, दाद और खुजली में राहत दिलाता है।

आयुर्वेद में ‘कचनार’ को थायराइड और शरीर में गांठों को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है। यह रक्त-पित और इससे जुड़ी समस्याओं को दुरुस्त करने में लाभकारी माना गया है। अगर महिलाओं को मासिक धर्म के समय पेट दर्द ज्यादा होता है, तो आप इसके फूल का काढ़ा बनाकर भी पी सकती हैं। यह दर्द से निजात दिलाने में मदद करता है।

--आईएएनएस

एनएस/एएस

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