जीरा सिर्फ एक मसाला नहीं, आयुर्वेदिक गुणों का है खजाना, जानें फायदे

नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। जीरा सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि एक बहुउपयोगी औषधि है। आयुर्वेद में इसे पाचन शक्ति बढ़ाने वाला, दर्द निवारक और अनुलोमन (गैस-वायु को संतुलित करने वाला) बताया गया है। इसकी तासीर गर्म होती है और यह हल्का, सूखा और तेज स्वाद वाला होता है। जीरा मुख्य रूप से वात और कफ दोष को संतुलित करता है।

पाचन तंत्र को मजबूत बनाना जीरे का सबसे बड़ा काम है। खाना खाने के बाद आधा चम्मच भुना हुआ जीरा लेने से गैस, अपच और पेट भारीपन नहीं होता। यह पाचन की अग्नि को तेज करता है और शरीर में हल्कापन लाता है। गर्भावस्था के दौरान जीरा पानी बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह उल्टी, जी मिचलाना और गैस से राहत देता है।

त्वचा के लिए भी जीरा किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें मौजूद फॉस्फोरस और कॉपर त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं। मासिक धर्म में अनियमितता या दर्द होने पर आधा चम्मच जीरा और थोड़ा गुड़ गर्म पानी के साथ लेने से आराम मिलता है।

जीरा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी उपयोगी है, क्योंकि यह दूध की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। सिरदर्द या माइग्रेन में जीरा, सौंफ और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर सूंघने से राहत मिलती है। मधुमेह के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

घरेलू नुस्खों में जीरा पानी सबसे लोकप्रिय है। रात को एक चम्मच जीरा पानी में भिगोकर सुबह उबाल लें और गुनगुना पी लें। यह पाचन ठीक रखता है और वजन घटाने में मदद करता है। अगर खांसी या कफ हो तो एक चौथाई चम्मच जीरा और चुटकीभर सेंधा नमक गर्म पानी के साथ लें, इससे गले को आराम मिलता है।

त्वचा की चमक के लिए जीरा, शहद और नींबू मिलाकर फेस पैक की तरह लगाएं। वजन घटाने के लिए जीरा और दालचीनी की चाय सुबह खाली पेट पीना बेहद असरदार होता है।

हालांकि ज्यादा सेवन करने से पित्त बढ़ सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में लेना ही सही है। जीरे की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्मियों में इसे सीमित मात्रा में लें।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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