नई दिल्ली: गोखरू एक ऐसी अद्भुत जड़ी-बूटी है, जो सदियों से हमारे आयुर्वेद में इस्तेमाल होती आ रही है। इसे त्रिदोषनाशक माना जाता है। यह शरीर के वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में मदद करती है। इसका फल, पत्ता और तना सभी औषधि के रूप में काम आते हैं।
चरक संहिता में भी गोखरू का उल्लेख मूत्र संबंधी और वात रोगों के इलाज में किया गया है।
गोखरू के गुण अनगिनत हैं। यह सूजन कम करने, दर्द मिटाने, खून को ठंडा करने और कफ-पित्त को संतुलित करने में मदद करता है। जिन लोगों को पेशाब करते समय जलन, दर्द या रुकावट होती है, उनके लिए यह बहुत लाभदायक है।
गोखरू मूत्रवर्धक होता है, जिससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। अगर पथरी की समस्या हो तो गोखरू चूर्ण को मधु और दूध के साथ कुछ दिनों तक लेने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
आजकल के प्रदूषण और गलत खान-पान के कारण पाचन की समस्या आम हो गई है। ऐसे में गोखरू का काढ़ा पीने से पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस, अपच या दस्त जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है।
इसके अलावा, अगर किसी को बार-बार सिर दर्द या बुखार होता है, तो गोखरू का काढ़ा बहुत फायदेमंद रहता है। दमे या सांस की तकलीफ में भी गोखरू और अंजीर का सेवन बहुत असरदार होता है।
महिलाओं के लिए भी गोखरू बहुत उपयोगी है। गर्भाशय में दर्द या सूजन होने पर गोखरू, मुलेठी और किशमिश का मिश्रण आराम देता है। पुरुषों में यह वीर्य की गुणवत्ता और स्पर्म काउंट बढ़ाने में मदद करता है, जिससे यौन कमजोरी दूर होती है।
जोड़ों का दर्द, कमर दर्द या सूजन जैसी समस्याओं में गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम पीने से राहत मिलती है। अगर त्वचा पर खुजली, दाद या फोड़े-फुंसी जैसी समस्या हो तो गोखरू के फल को पानी में पीसकर लेप लगाने से फायदा होता है।
--आईएएनएस
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