'डायबिटीज के बढ़ते खतरे से युवा अनजान', लैंसेट की रिसर्च में खुलासा

नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विश्व स्तर पर युवाओं में डायबिटीज को लेकर जागरूकता की कमी गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत दे रही है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, बड़ी संख्या में युवा वयस्कों को यह मालूम ही नहीं है कि वे डायबिटीज से पीड़ित हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकती है।

वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के वैश्विक अध्ययन में 2000 से 2023 तक 204 देशों और क्षेत्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के लगभग 44 प्रतिशत डायबिटीज पीड़ितों को इसकी जानकारी ही नहीं थी। हालांकि, यह आंकड़ा 2000 के मुकाबले बेहतर है, जब 53 प्रतिशत लोग इससे अनजान थे। हालांकि, जागरूकता की दर अभी भी बेहद कम है।

चिंता का विषय यह है कि 15 से 39 साल की उम्र के लोगों में निदान की दर सबसे कम पाई गई। इस आयु वर्ग में सिर्फ 26 प्रतिशत लोगों को ही डायबिटीज का पता चल पाया, जबकि इस उम्र में बीमारी की पहचान नहीं होने से आगे चलकर गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, क्योंकि ये लोग लंबे समय तक बिना उपचार के जीते हैं, जिससे आंखों, गुर्दों, हृदय और नसों पर बुरा असर पड़ता है।

आईएचएमई की मुख्य लेखिका लॉरेन स्टैफोर्ड ने कहा, "अगर यही स्थिति रही तो साल 2050 तक 1.3 अरब लोग डायबिटीज से ग्रसित हो सकते हैं, जिनमें से लगभग आधे को इसकी जानकारी भी नहीं होगी। यह एक चुपचाप फैलने वाली महामारी बन सकती है।"

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जिन लोगों को डायबिटीज का पता चल चुका है, उनमें से 91 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की दवा या चिकित्सा उपचार ले रहे हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है। चिंता की बात यह है कि उनमें से केवल 42 प्रतिशत का ब्लड शुगर लेवल सही तरीके से नियंत्रित है। विश्व स्तर पर सिर्फ 21 प्रतिशत डायबिटीक लोगों का ब्लड शुगर सही से कंट्रोल में है।

क्षेत्रीय स्तर पर भी स्थिति असमान है। उच्च आय वाले देशों जैसे उत्तरी अमेरिका में निदान की दर सबसे ज्यादा है, वहीं एशिया-पैसिफिक देशों जैसे जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया में निदान के बाद इलाज की दर सबसे बेहतर पाई गई। दक्षिण लैटिन अमेरिका में जिन लोगों को इलाज मिल रहा है, उनमें से सबसे ज्यादा लोग अपना ब्लड शुगर अच्छे से कंट्रोल में रख पा रहे हैं।

इसके विपरीत, मध्य उप-सहारा अफ्रीका में केवल 20 प्रतिशत से भी कम लोगों को पता है कि उन्हें डायबिटीज है, जो बेहद चिंताजनक स्थिति है।

शोध इस बात पर जोर देता है कि तेजी से बढ़ते डायबिटीज मामलों को देखते हुए खासतौर से युवाओं के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रमों में निवेश की आवश्यकता है। साथ ही, सभी क्षेत्रों, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में दवाइयों और ग्लूकोज मॉनिटरिंग उपकरणों की सुलभता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

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