ब्रेस्ट फीडिंग वीक : क्रैडल होल्ड से फुटबॉल होल्ड तक, ये हैं स्तनपान के 5 सही पोजीशन

नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। स्तनपान की सही पोजीशन, मां और शिशु दोनों के लिए स्वस्थ बंधन की कुंजी और दोनों के लिए लाभकारी है। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय और यूनिसेफ दोनों न केवल स्तनपान के लाभ बल्कि इसकी सही पोजीशन क्या है, यह भी बताता है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, " मां का दूध शिशु के लिए पहले छह महीनों में सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिसमें वसा, प्रोटीन, विटामिन और खनिज शामिल हैं। यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है, संक्रामक रोगों से बचाता है और मस्तिष्क विकास को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही माताओं में स्तन व डिम्बग्रंथि कैंसर, डायबिटिज और हृदय रोग का जोखिम भी कम होता है।"

यूनिसेफ का मानना है कि सही ब्रेस्ट फीडिंग पोजीशन इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाती है। इनमें क्रैडल होल्ड, क्रॉस-क्रैडल होल्ड, फुटबॉल होल्ड, करवट लेकर लेटने की स्थिति और लेटने की स्थिति शामिल है।

यूनिसेफ के अनुसार, पालना पकड़ या क्रैडल होल्ड सबसे लोकप्रिय पोजीशन है, जो मां और शिशु के बीच भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाती है। मां अपने शिशु को गोद में इस तरह रखती है कि उसका सिर कोहनी के मोड़ पर और शरीर मां की छाती से सटा हो। तकिए का सहारा लेने से मां की बांह को आराम मिलता है, जिससे लंबे समय तक स्तनपान आसान हो जाता है।

दूसरा है क्रॉस-क्रैडल होल्ड पोजीशन, जो नवजात शिशुओं के लिए आदर्श पोजीशन है और यह मां को शिशु के सिर पर बेहतर नियंत्रण देती है। शिशु को क्रैडल होल्ड की विपरीत दिशा में रखा जाता है, जिसमें सिर को हाथ से सहारा दिया जाता है। यह स्थिति नई माताओं के लिए मददगार है।

तीसरे नंबर पर आता है फुटबॉल होल्ड या अंडर-आर्म होल्ड। यह पोजीशन सीजेरियन डिलीवरी या निप्पल दर्द से जूझ रही माताओं के लिए बेहद लाभकारी है। शिशु को फुटबॉल की तरह बांह के नीचे रखा जाता है, जिससे उसका चेहरा स्तन की ओर और पैर मां की बांह के नीचे रहते हैं। यह बंद नलिकाओं को खोलने में मदद करता है।

करवट लेकर लेटने वाली पोजीशन रात के समय या थकान होने पर सुकून देती है। मां और शिशु दोनों करवट लेकर लेटते हैं, शिशु का सिर मां की छाती पर होता है। तकिए से पीठ का सहारा लेना और शिशु की नाक को अवरुद्ध होने से बचाना जरूरी है।

लेटने की पोजीशन, यह चंचल या बेचैन शिशुओं के लिए शांतिदायक पोजीशन है। मां तकिए के सहारे थोड़ा पीछे झुकती है और शिशु को अपनी छाती पर लिटाती है। त्वचा से त्वचा का संपर्क भावनात्मक बंधन को गहरा करता है। ये पोजीशन न केवल स्तनपान को आरामदायक बनाती है, बल्कि मां और शिशु के बीच प्रेम और विश्वास का रिश्ता भी मजबूत करती है।

--आईएएनएस

एमटी/केआर

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