नई दिल्ली: भूमि आंवला, जिसे भुई आंवला भी कहते हैं, आयुर्वेद में एक चमत्कारी जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसके पत्ते, तने और जड़ कई स्वास्थ्य समस्याओं जैसे गठिया, मधुमेह, लिवर और पाचन संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद हैं। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि भूमि आंवला अपने औषधीय गुणों की वजह से शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत प्रभावी है।
चरक संहिता में भूमि आंवला को 'कषहार' कहा जाता है, जो लिवर को स्वस्थ करता है और पीलिया, हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों में राहत देता है। यह लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। चाहे फैटी लिवर हो या लिवर का संपूर्ण स्वास्थ्य, साथ ही यह यह अपच, एसिडिटी, पेट फूलना और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार है। इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
भूमि आंवला ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने में सहायक है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है। यही नहीं, इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करते हैं और शरीर को बीमारियों से बचाने में कारदर हैं। इसके साथ ही यह खांसी, जुकाम, बुखार, गठिया के दर्द और त्वचा रोगों में भी प्रभावी है।
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इसका सेवन कैसे करना चाहिए। भूमि आंवला को सूखाकर पाउडर पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है। इसका ताजा जूस पीना फायदेमंद है। इसे अन्य जूस के साथ भी मिलाया जा सकता है। पत्तियों और जड़ों को उबालकर काढ़े का सेवन किया जा सकता है। इसे पीसकर त्वचा पर इसके लेप को लगाने से त्वचा रोगों में राहत मिलती है।
भूमि आंवला भारत में स्थानीय रूप से कई नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे भूमि आंवला, जंगली आंवला, संस्कृत में तमालकी, कषाहार, बहुपत्र, कन्नड़ में नेलनेली, भू नेल्ली के नाम से जाना जाता है। वहीं, मराठी में भुई आंवला, भुई आंवला, मलयालम में किझुकानेली और तेलुगू में नेला उसिरका कहा जाता है। भूमि आंवला का वैज्ञानिक नाम 'फाइलैन्थस यूरीनेरिया' है।
भूमि आंवला के फायदे अनेक हैं, लेकिन इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन न करें। गर्भवती या ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर से परामर्श जरूरी है। अगर आप कोई दवा ले रहे हैं, तो भूमि आंवला शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।