बचपन में अंधेपन की समस्या की वजह आंख से ही नहीं, बल्कि दिमाग से भी जुड़ा होता है, समय रहते पहचान जरूरी

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। हम अक्सर सोचते हैं कि देखने में परेशानी का मतलब आंखों की कमजोरी होती है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आंखें पूरी तरह ठीक होती हैं, फिर भी बच्चा साफ-साफ नहीं देख पाता। इसका कारण आंखों में नहीं, बल्कि दिमाग में होता है। ऐसी ही एक बीमारी का नाम है कॉर्टिकल विजुअल इम्पेयरमेंट (सीवीआई)। यह बच्चों में दिखने वाली एक खास तरह की दृष्टि समस्या है, जो आज के समय में बचपन में अंधेपन की एक बड़ी वजह बनती जा रही है।

कॉर्टिकल विजुअल इम्पेयरमेंट (सीवीआई) एक ऐसी समस्या है जिसमें आंखें सही तरीके से काम करती हैं। लेकिन, जब यह जानकारी दिमाग तक पहुंचती है, तो दिमाग उसे ठीक से समझ नहीं पाता। इसी वजह से बच्चा चीजों को देखकर भी उन्हें पहचान नहीं पाता, या कई बार उन्हें नजरअंदाज कर देता है। यह समस्या कई कारणों से पैदा हो सकती है, जैसे जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, समय से पहले जन्म होना, सिर पर चोट लगना या दिमाग में संक्रमण।

सीवीआई के लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता। कई बार बच्चे किसी वस्तु को बार-बार देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि यह क्या है। वे हलचल या रोशनी वाली चीजों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। किसी चेहरे को पहचानने में उन्हें परेशानी होती है, और भीड़-भाड़ या उलझे हुए माहौल में उन्हें चीजें समझ नहीं आतीं। कुछ बच्चे सिर्फ साइड विजन से ही चीजों को देख पाते हैं।

चूंकि आमतौर पर बच्चों की आंखें ठीक दिखती हैं, इसलिए माता-पिता या शिक्षक कई बार यह सोचते हैं कि बच्चा ध्यान नहीं दे रहा या सीखने में कमजोर है, जबकि असली वजह सीवीआई होती है। वैज्ञानिक इसके इलाज में कई तकनीकों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं सरकार भी कई तरह के कदम उठा रही है।

इस कड़ी में हाल ही में अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने अमेरिका के बोस्टन शहर में एक कार्यक्रम में भाग लिया, जो खासतौर पर सीवीआई से जुड़ा हुआ था। उन्होंने यह जानकारी दी कि वे अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा में सीवीआई से पीड़ित बच्चों के लिए खास कार्यक्रम शुरू करने जा रही हैं, ताकि उन्हें बेहतर सहायता मिल सके।

--आईएएनएस

पीके/जीकेटी

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