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नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। ढलती उम्र कई शारीरिक बदलाव लेकर आती है। उस परिवर्तन के लिए हमेशा खुद को तैयार रखना भी किसी 'कसरत' से कम नहीं। कसरत जरूरी है ताकि शरीर निढाल न पड़े, ऊर्जा बनी रहे, और आने वाली किसी भी मुसीबत से डटकर मुकाबले के लिए हम तैयार रहें। रिसर्च कहती है कि कसरत या व्यायाम को 50 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेना सही उपाय है, नहीं तो ऑस्टियोपोरोसिस आपके सुखी जीवन को परेशान कर सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस वृद्ध आबादी में सबसे आम बीमारियों में से एक है, जिसके मरीजों की संख्या कम नहीं है। यह बीमारी हड्डियों के क्षय का कारण बनती है और फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ाती है। इसका असर क्वालिटी लाइफ पर पड़ता है। ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम और उपचार को लेकर कई मिथक हैं—जिनमें से अधिकांश झूठे हैं—खासकर जब बात शारीरिक गतिविधि की आती है, जो इस बीमारी की रोकथाम और उपचार दोनों में एक महत्वपूर्ण कारक है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों की डेंसिटी कम हो जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। एक अनुमान के अनुसार 50 वर्ष से अधिक आयु की तीन में से एक महिला और 65 वर्ष से अधिक आयु के पांच में से एक पुरुष इससे पीड़ित होते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस को "खामोश बीमारी" भी कहा जाता है, क्योंकि यह धीरे-धीरे और चुपचाप विकसित होती है और फ्रैक्चर होने तक दर्द का अनुभव नहीं कराती। सबसे आम फ्रैक्चर कूल्हे, रीढ़ और कलाई में होते हैं।
शोध से पता चलता है कि जिन लोगों को ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर हुआ है, उन्हें दूसरे फ्रैक्चर का खतरा ज्यादा होता है, खासकर शुरुआती फ्रैक्चर के बाद के कुछ वर्षों के दौरान। आयरलैंड में किए गए और अप्रैल 2024 में 'ऑस्टियोपोरोसिस इंटरनेशनल जर्नल' में प्रकाशित एक अध्ययन में इसे लेकर आगाह किया गया।
इस स्टडी में 65+ आयु वर्ग के लगभग 5,000 लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें पहले ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर हुआ था। यह पाया गया कि लगभग 43 फीसदी महिलाओं और 34 फीसदी पुरुषों ने करीब 17 साल में एक और फ्रैक्चर झेला।
इनमें से लगभग 42 फीसदी महिलाओं और 33 फीसदी पुरुषों ने दो से अधिक फ्रैक्चर झेले। इसके अतिरिक्त, कूल्हे के फ्रैक्चर (30%-50%) और वर्टिबल फ्रैक्चर (24%-55%) के बाद 5 वर्षों के भीतर मृत्यु का रिस्क भी ज्यादा बढ़ गया।
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज और रोकथाम में शारीरिक गतिविधि सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। नियंत्रित और निगरानी में किए जाने पर, फ्रैक्चर का जोखिम कम हो जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि रोगी की स्थिति के अनुसार व्यायाम करने से सुधार आता है, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलती है, और फ्रैक्चर का खतरा कम होता है।
शोध के मुताबिक कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों के लिए बहुत जरूरी हैं, लेकिन ये अपने आप में पर्याप्त नहीं हैं। हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधि की भी आवश्यकता होती है। अध्ययनों से पता चला है कि व्यायाम न केवल हड्डियों के द्रव्यमान (मास) को बनाए रखने के लिए जरूरी है, बल्कि उन्हें मजबूत बनाने में भी सहायक है।
--आईएएनएस
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