अहमदाबाद: 2002 के गुजरात दंगों को लेकर गुजरात को बदनाम करने के मामले में अहमदाबाद की कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड और पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार के पांच दिन के रिमांड मंजूर किए हैं| पुलिस ने सेतलवाज और श्रीकुमार को अदालत में पेश कर 14 दिनों की रिमांड की मांग की थी| हांलाकि कोर्ट ने 2 जुलाई तक दोनों के पुलिस रिमांड मंजूर किए हैं| बता दें कि शनिवार को गुजरात एटीएस ने तीस्ता सेतलवाड को मुंबई के जुहू स्थित उनके निवास से हिरासत में लिया और आज सुबह अहमदाबाद पहुंचने के बाद उन्हें विधिवत गिरफ्तार किया| बीते दिन ही पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था| गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने तीस्ता सेतलवाड की अहमदाबाद के वीएस अस्पताल में मेडिकल जांच करवाई| जिसके बाद दोपहर तीस्ता सेतलवाड और आरबी श्रीकुमार को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के चैम्बर में पेश किया गया| जहां क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों के 14 दिनों के रिमांड की मांग की| क्राइम ब्रांच ने न्यायधीश को बताया कि जांच में सेतलवाड और श्रीकुमार सहयोग नहीं कर रहे हैं| तीस्ता ने कोर्ट को बताया कि गुजरात एटीएस बगैर वारंट मेरे घर में घुस आई और मुझसे मेरा मोबाइल छीन लिया| इतना ही नहीं मुझे धक्का मारा और मारपीट भी की| तीस्ता ने आरोप लगाया कि मुझे परेशान करने के लिए गुजरात एटीएस मुंबई से कार में अहमदाबाद लाई है| तीस्ता ने आरोप लगाया कि अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया| पूरे मामले को फर्जी बताते हुए तीस्ता ने कोर्ट से कहा कि इसके लिए गुजरात एटीएस को भेजना कितना उचित है? तीस्ता ने अपनी हिरासत और गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया| इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए| मैं मानवाधिकार कार्यकर्ता हूं और यह पूरा मामला राजनीतिक है| मैं जांच में संपूर्ण सहयोग कर रही हूं और सभी कानूनी जांच और सवालों के जवाब देने को तैयार हूं| दूसरी ओर सरकारी वकील मितेश अमीन ने अपनी दलील में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का संपूर्ण अध्ययन करने के बाद पश्चात ही तीस्ता के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है| जजमेंट के बाद ही एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की है| तीस्ता की जांच इसलिए जरूरी है कि उन्होंने फर्जी हलफनामा दाखिल किए हैं और वह भी सुप्रीम कोर्ट में| सरकारी वकील ने कहा कि तीस्ता ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें उनके साथ रेप और लूट की शिकायत की है| यह शिकायत किसके कहने पर की गई है, इसकी जांच के लिए 15 दिनों के रिमांड जरूरी है| दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने तीस्ता सेतलवाड और आरबी श्रीकुमार के 1 जुलाई 2022 तक रिमांड मंजूर किए| जब जांच अधिकारी ने कहा कि 1 जुलाई को रथयात्रा है, इसलिए 2 जुलाई तक मंजूर किए जाएं| जांच अधिकारी की मांग को स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट ने 2 जुलाई 2022 तक सेतलवाड और श्रीकुमार को पुलिस रिमांड पर भेज दिया| इस मामले में सरकार की ओर से बतौर वकील मितेश अमीन, तिस्ता सेतलवाड की ओर से हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील सोमनाथ वत्स और आरबी श्रीकुमार के वकील एसएम वोरा कोर्ट में मौजूद रहे|