नई दिल्ली: चरमपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए, और ईडी की 13 राज्यों में छापेमारी के बाद गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में अहम बैठक कर रहे हैं। इस मीटिंग में वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों, एजेंसियों के अफसरों समेत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद हैं। मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो रही है कि पीएफआई और उससे जुड़े संगठन एसडीपीआई पर छापों के दौरान क्या सबूत मिले हैं और आगे इनके खिलाफ क्या ऐक्शन लिया जा सकता है। आईबी की ओर से दिए गए इनपुट और कड़ी जांच के आधार पर गुरुवार सुबह से ही देश भर में 13 राज्यों में छापेमारी जारी हैं। इस दौरान पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत 106 लोगों ने एनआईए ने गिरफ्तार किया है।
बुधवार रात से ही सभी राज्यों की पुलिस भी इनके खिलाफ ऐक्टिव थी। अब सरकार यह प्लान बना रही है कि आगे इस संगठन के खिलाफ क्या कड़ा फैसला लिया जाए। यह संगठन को खुद को धार्मिक और सामाजिक कार्य करने वाला बताता है, लेकिन देश में कई हत्याओं और अतिवादी घटनाओं से इसके तार जुड़ने की आशंकाएं रही हैं। यही नहीं उदयपुर में कन्हैयालाल और अमरावती में केमिस्ट की हत्या में भी इस संगठन का नाम आया था। लेकिन पीएफआई ऐसे मामलों में अपनी कोई भूमिका होने से इनकार करता रहा है।
आज सुबह से ही हुई छापेमारी में सबसे ज्यादा केरल से 22 लोगों को अरेस्ट किया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20 लोग पकड़े गए हैं। आंध्र प्रदेश से 5, असम से 9, दिल्ली से 3, मध्य प्रदेश से 4 और पुदुचेरी से 3 लोगों को एजेंसियों ने पकड़ा है। इसके अलावा तमिलनाडु से 10, यूपी 8 और राजस्थान से भी 2 लोगों को उठाया गया है। इन लोगों पर आतंकी शिविर आयोजित करने, टेरर फंडिंग और लोगों को कट्टरता की सीख देने के आरोप लगे हैं। पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआई पर कई सालों से गृह मंत्रालय की निगाह है।
बीते कुछ सालों में यह इनपुट मिला है कि पीएफआई को पश्चिम एशियाई देशों जैसे कतर, कुवैत, तुर्की और सऊदी अरब से फंडिंग होती रही है। इस फंड का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों और लोगों को कट्टरता का पाठ पढ़ाने के लिए होता रहा है। पीएफआई का नाता पैन-इस्लामिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से भी बताया जाता है। कहा जाता है कि पीएफआई की लीडरशिप में वही लोग शामिल हैं, जिन्होंने किसी दौर में प्रतिबंधित संगठन सिमी की स्थापना की थी। सिमी का मकसद भारत में इस्लामिक खलीफा की स्थापना करना था।