मुंबई: महाराष्ट्र की सियायत में बवाल की शुरूआत तो राज्यसभा चुनावों के नतीजों के बाद ही हो गई थी और रही-सही कसर विधान परिषद के चुनावों में बीजेपी की जीत ने पूरी कर दी. इसके बाद से ही शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे 25 विधायकों के साथ गुजरात चले गए, बताया जाता है कि एकनाथ शिंदे पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें हाशिये पर डाल दिया गया है. अब जिस तरह महाराष्ट्र में 'ऑपरेशन कमल' सामने आ रहा है, उससे उद्धव सरकार संकट में नजर आ रही है. शिवसेना के कद्दावर नेता और नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर और अति-महत्वाकांक्षी होने से आज शिवसेना की जो फजीहत हो रही है वो शायद इससे पहले कभी नहीं हुई थी. राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि गुजरात में ऑपरेशन लोटस चलाया जा रहा है. आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की गिनती शिवसेना के कद्दावर नेताओं में होती है. उन्होंने प्रदेश में संगठन को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शिंदे वर्ष 2004, 2009, 2014 तथा 2019 में लगातार चार बार महाराष्ट्र विधानसभा में चुने गए. 2014 में जीत के बाद उन्हें शिवसेना विधायक दल का नेता चुना गया था, और फिर वह महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे इस वक्त लोकसभा सांसद हैं, और उनके भाई प्रकाश शिंदे इस समय नगरसेवक हैं. शिंदे के बारे में जानने वाले लोग बताते हैं कि वह शिवसेना के संकटमोचक रहे हैं। ऐसे में उनकी ओर से दिए गए झटके से शिवसेना का संभलना मुश्किल होगा। एकनाथ शिंदे की शिवसेना पर कितनी पकड़ रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह बाल ठाकरे के भी बेहद करीबी थी।
- सीएम ठाकरे ने लगाई थी फटकार
दरअसल 10 दिन पहले राज्यसभा चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस सदस्यों की क्रॉस वोटिंग की वजह से भाजपा को जितनी सीटें जीतनी चाहिए थी, उन्हें उनसे एक सीट अधिक मिल गई. सोमवार को विधानपरिषद चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग हुई. सूत्रों की मानें तो सीएम उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को मंगलवार रात फटकार लगाई थी (12 शिवसेना विधायकों ने भाजपा को वोट दिया था). शिवसेना को निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों का समर्थन भी नहीं मिल पाया. एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री ठाकरे के बीच आखिरी बार संपर्क तब हुआ था, जब उन्होंने पराजय के मुद्दे पर बातचीत की थी.
- शिवसेना सांसद संजय राउत को ज़्यादा महत्व मिलने से नाराज थे शिंदे
सूत्रों की मानें तो केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को सबसे पहले पता चला था कि एकनाथ शिंदे इस बात से नाराज़ हैं कि उद्धव ठाकरे शिवसेना सांसद संजय राउत को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं. शिंदे को ठाणे जिले का जननेता के रूप में जाना जाता है और वह शिवसेना के बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं, लेकिन सरकार और पार्टी में जिस तरह उन्हें किनारे कर दूसरे को वरीयता दी जा रही थी, उससे वह काफी आहत और नाराज़ चल रहे थे. सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य की बढ़ती अहमियत से उन्हें कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन संजय राउत के बढ़ते कद से वह ज़रूर नाराज़ चल रहे थे. सूत्रों का कहना है कि नारायण राणे और देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री के साथ संयुक्त बैठक की, जिसमें फैसला लिया गया कि इस मामले में 'ऑपरेशन कमल' चुपचाप होना चाहिए. यानी विधायकों को इधर उधर ले जाने के लिए चार्टर उड़ानों को शामिल नहीं किया जाए. वाकई यह एक ऐसी रणनीति है, जिस पर बीजेपी की छाप साफ दिखाई दे रही है.
- विधायक दल के नेता पद से हटाए गए शिंदे
शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है. अजय चौधरी को शिवसेना द्वारा विधायक दल का नेता बनाया गया है. बहरहाल महाराष्ट्र सरकार से संकट के बादल अभी छटे नहीं है, क्योंकि ताजा जानकारी के मुताबिक अभी 29 विधायक शिवसेना और पांच निर्दलीय कुल मिलाकर 34 विधायक महाराष्ट्र सरकार के संपर्क में नहीं है.
- शिंदे के साथ 23 विधायक होने की चर्चा
सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे के साथ करीब 23 विधायक हैं. सूत्र इन विधायकों के नाम भी बता रहे हैं. जिन विधायकों के शिंदे के साथ होने की बात कही जा रही है, उनमें शामिल हैं- 1) अब्दुल सत्तार राज्य मंत्री, सिलोड, औरंगाबाद 2) शंबुराजे देसाई, राज्य मंत्री, सतारा पाटन 3) प्रकाश अबितकर, कोल्हापुर 4) संजय राठौड़, यवतमाल 5) संजय रायमुलकर, मेहकर, 6) संजय गायकवाड़, बुलढाणा 7) महेंद्र दलवी 8) विश्वनाथ भोईर, कल्याण, ठाणे 9) भरत गोगवाले, महाड रायगढ़ 10) संदीपन भुमरे, राज्य मंत्री 11) प्रताप सरनाइक, मजीवाड़ा, ठाणे 12) शाहजी पाटिल 13) तानाजी सावंत 14) शांताराम मोरे 15) श्रीनिवास वनगा 16) संजय शीर्षसत 17) अनिल बाबर 18) बालाजी किन्निकर, अंबरनाथ 19) यामिनी जाधव 20. किशोर पाटिल 21) गुलाबराव पाटिल 22) रमेश बोरानारे 23) उदय राजपूत.