गुजरात दंगे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गृहमंत्री शाह ने कहा, पीएम मोदी चुपचाप सारे आरोपों को सहते रहे

राहुल गांधी की तरह पीएम मोदी ने पूछताछ को लेकर नाटक नहीं किया
amit shah

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को इंटरव्यू में 2002 में गुजरात दंगे को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी और बयान दिया। गृहमंत्री शाह ने कहा कि पीएम मोदी पर सारे आरोप गलत पाए गए हैं, ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। पीएम मोदी चुपचाप सारे आरोपों को सहते रहे। पीएम मोदी ने कई सालों तक आरोपों को बर्दाश्त किया। सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी पर लगे सारे आरोपों को खारिज कर दिया है। दंगे के दौरान सेना को बुलाने में कोई देरी नहीं हुई थी। पुलिस-प्रशासन के प्रभावी रुप से कार्रवाई ना कर पाने के सवाल पर शाह ने कहा कि राजनीति से प्रेरित पत्रकारों और कुछ गैर सरकारी संगठनों ने आरोपों को प्रचारित किया। उनके पास मजबूत तंत्र था, इसकारण हर कोई झूठ को सच मानने लगा था। 

शाह ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ पर कांग्रेस के विरोध पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि मोदीजी ने एसआईटी के सामने पेश होते समय ड्रामा नहीं किया। मेरे समर्थन में सामने आओ, विधायकों-सांसदों को बुलाओ और धरना करो। उन्होंने कहा कि अगर एसआईटी सीएम (मोदी) से सवाल करना चाहती है, तब वह खुद सहयोग करने के लिए तैयार हैं, विरोध क्यों? शाह ने कहा कि एक बड़े नेता ने 18-19 साल की लंबी लड़ाई को बिना एक शब्द कहे और भगवान शंकर के 'विषपान' की तरह सभी दर्द को झेला। मैंने उन्हें बहुत करीब से पीड़ित देखा। केवल एक मजबूत इरादों वाला व्यक्ति ही कुछ न कहने का स्टैंड ले सकता था, क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन था। 

शाह ने कहा कि जहां तक ​​गुजरात सरकार का सवाल है, हमें देर नहीं हुई। जिस दिन गुजरात बंद का आह्वान किया गया था, उस दिन दोपहर में ही हमारी सरकार ने सेना बुला ली थी। सेना को पहुंचने में कुछ समय लगता है. एक दिन की भी देरी नहीं हुई थी। कोर्ट ने भी इसकी सराहना की। गृह मंत्री ने कहा कि सब कुछ (स्थिति को नियंत्रित करने के लिए) किया गया था। नियंत्रित करने में सम य लगता है। गिल साहब (पूर्व पंजाब डीजीपी, दिवंगत केपीएस गिल) ने कहा था कि उन्होंने अपने जीवन में इससे अधिक तटस्थ और त्वरित कार्रवाई कभी नहीं देखी। फिर भी उनके खिलाफ भी आरोप लगाए गए। 

शाह ने कहा कि दंगों का मूल कारण गोधरा ट्रेन का जलना था। 16 दिन के बच्चे सहित 59 लोगों को आग के हवाले किया गया। पहले से कोई पेशेवर इनपुट नहीं था कि इस तरह की उग्र प्रतिक्रियाएं होंगी। कोई परेड (गोधरा ट्रेन जलने के पीड़ितों के शव) नहीं की गई थी, यह गलत है। उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया और परिवारों द्वारा बंद एम्बुलेंस में शवों को उनके घरों में ले जाया गया। 

उन्होंने कहा कि लोगों (अधिकारी-प्रशासन) ने अच्छा काम किया है। लेकिन घटना (गोधरा ट्रेन जलने) से गुस्सा था और किसी को भनक तक नहीं लगी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन (गोधरा) जलाने के बाद हुए दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे, बल्कि स्व-प्रेरित थे। जब इसके पहले और बाद के फुटेज सामने आए, तब पता चला कि स्टिंग ऑपरेशन राजनीति से प्रेरित था। शाह ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया जाफरी ने किसी और के इशारे पर काम किया। एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं चला। 

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