लखनऊ: उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और रामपुर में हुए उपचुनाव के परिणाम रविवार को घोषित हो गए। दोनों ही सीटों पर केन्द्र और राज्य मंे सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। इन दोनांे सीटों पर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। लेकिन बाद में इन दोनों सीटों से क्रमशः अखिलेश यादव और मो. आजम खां ने इस्तीफा दे दिया था और इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। ऐसे में लोकसभा उपचुनाव में मिली हार दोनों नेताओं के लिए बड़ा झटका है।
उप्र की आजमगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को हरा दिया है। दिनेश लाल यादव निरहुआ ने 11212 वोटों से जीत दर्ज की है। हालांकि शुरूआती रुझानों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। कभी बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ आगे तो कभी धर्मेंद्र यादव। दोनों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। दोनों के बीच पहले चार पांच राउंड तक उठापटक चलती रही। छठे चरण तक पहुंचने तक सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव 9200 से ज्यादा वोटों से आगे निकल गए वहीं बीएसपी प्रत्याशी गुड्डू जमाली दूसरे नंबर तक पहुंच गए। बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। सातवें चरण से निरहुआ ने रफ्तार पकड़ी और फिर धर्मेंद्र यादव और निरहुआ के बीच टक्कर दिखाई देती रही। आखिरी चरण से पहले तक साफ हो गया था कि निरहुआ जीतने वाले हैं क्योंकि निरहुआ आखिरी राउंड तक पांच हजार से ज्यादा वोटों की लीड बनाए हुए थे।
आजमगढ़ में मिली जीत के बाद निरहुआ ने ट्वीट कर जनता को धन्यवाद कहा है और ये जीत उन्हें समर्पित की है। निरहुआ ने ट्विटर पर लिखा, ‘जनता की जीत! आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है।’
वहीं रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के आसिम राजा को 40 हजार मतों से पराजित किया। इस सीट पर दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला था। लेकिन जीत का सेहरा भाजपा के सिर बंधा। रामपुर में मिली हार से मो. आजम खां खासे विचलित दिखायी दिए। चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर में जो चुनाव हुआ है, वह चुनाव था ही कहां? इसे ना आप चुनाव कह सकते हैं और न ही चुनावी नतीजे। 900 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ छह वोट डाले गए और 500 के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ एक वोट डाला गया। जिस तरह से वोट डाले गए, हम अपने प्रत्याशी की जीत मानते हैं। जिस पर जिम्मेदारी थी उसी पुलिस ने कई सालों से रामपुर को सियासी तौर पर माली तौर पर हमला कर सामाजिक तौर पर लूट, बर्बाद करके, फर्जी मुकदमें लगा कर अपने दिल को तसल्ली दी है। जिससे बड़ी मायूसी होती है। तकलीफ इसलिए भी होती है क्योंकि हमारे अपने ही वतन में हमारे हमवतनों का हमसे ऐसा सुलूक है।
उन्होंने कहा कि आज एक ही तबके वालों को निशाना बनाया गया। जबकि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी जिम्मेदारी होनी चाहिए थी। यानी उसी तरह लोग थानों में बंद होने चाहिए थे। उसी तरह पगड़ी पर हाथ डालना चाहिए था। उसी हिसाब से टोपी पर हाथ डालना चाहिए था। सिर्फ एक ही वर्ग को निशाना बनाया गया। एक ही वर्ग है जो हर नफरत का हकदार है। अगर कोई ऐसा तेजाब है जो हमें गला देने के लिए काफी हो। तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। वतन छोड़कर कहां चले जाएं और कौन हमें ले लेगा?