सम्पादकीय एवं विश्लेषण
भाजपा राहुल को धन्यवाद दे
राहुल गांधी ने लंदन जाकर भारत की राजनीति, सरकार, संघवाद, विदेश मंत्रालय आदि के बारे में जो बातें कहीं, वे नई नहीं हैं लेकिन सवाल यह है कि उन्हें विदेशों में जाकर क्या यह सब बोलना चाहिए? भारत में रहते हुए वे सरकार की निंदा करें, यह बात तो समझ में आती है, क्योंकि वे ऐसा न करें तो विपक्ष का धंधा ही बंद हो जाएगा। भारत का विपक्ष इतना टटपूंजिया हो गया है कि उसके पास निंदा के अलावा कोई धंधा ही नहीं बचा है। उसके पास न कोई विचारधारा है, न सिद्धांत है, न नीति है, न कार्यक्रम है, न जन-आंदोलन के कोई मुद्दे ...

By दैनिक हाक


सम्पादकीय एवं विश्लेषण
भगवतीचरण वोहरा: क्रांतिकारी जिसे भुला दिया गया
भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवतीचरण वोहरा का जन्म 4 नवंबर, 1903 को लाहौर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वे एक गुजराती ब्राह्मण थे। उनके पिता पंडित शिवचरण वोहरा रेलवे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा 'रायसाहब' की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। ...

By Dainik Hawk


सम्पादकीय एवं विश्लेषण
परवानों को बुलाते हैं शम्मा दिखा के हम
गांधीवादी सिद्धांतों व विचारधारा पर चलने वाली कांग्रेस पार्टी देश की स्वतंत्रता से लेकर अब तक दुर्भाग्यवश अनेक बार विभाजित हो चुकी है। ब्रह्मानंद रेड्डी से लेकर बाबू जगजीवन राम, हेमवती नंदन बहुगुणा,नारायण दत्त तिवारी,मोहसिना क़िदवई,देव राज अर्स,ममता बनर्जी और शरद पवार जैसे और भी अनेक बड़े से बड़े नेताओं ने कांग्रेस पार्टी से समय समय पर किसी न किसी मतभेद के चलते अपना नाता ...

By Dainik Hawk


सम्पादकीय एवं विश्लेषण
किसकी हिम्मत, जो अंग्रेजी को हटाए?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कई मुद्दे उठाए, जिसमें भाषा का मुद्दा प्रमुख था। राजभाषा हिंदी को लेकर पिछले दिनों दक्षिण में काफी विवाद छिड़ा था। मोदी ने यह तो बिल्कुल ठीक कहा कि सभी भारतीय भाषाओं को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए लेकिन मोदी ने यह नहीं बताया कि पिछले 75 साल में बनी सभी सरकारें क्या देश की एक भी भाषा को उसका उचित सम्मान और स्थान दिला सकी हैं। मोदी सहित सभी प्रधानमंत्रियों ने अंग्रेजी के आगे अपने घुटने टेक रखे हैं। ...

By दैनिक हाक


सम्पादकीय एवं विश्लेषण
बाधित प्रतिमा या यंत्र निगेटिव ऊर्जा निःसृत करते हैं
हम मंदिर बनाते हैं खास तौर पर जैन मंदिर तो उसकी एक ही वेदी पर अनेकों प्रतिमाएँ विराजमान कर देते हैं। यदि मंदिर की वेदी पर अधिक स्थान नहीं होता है तो सबसे बड़ी प्रतिमा के आगे कुछ छोटी प्रतिमा, उससे आगे और छोटी इस तरह से एक-एक प्रतिमा के आगे एकाधिक प्रतिमाएँ स्थापित कर देते हैं। जिस पर कुछ यंत्र होते हैं तो वे भी रख देते ...

By दैनिक हाक