मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी कार्यशैली शिवसेना में विभाजन के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजीत पवार पर यकीन करना उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल थी। उन्होंने कहा कि राजनीति में इस तरह से पीठ में छुरा घोंपने का बदला लेने के लिए यह जरूरी है कि आप लंबे समय तक जिएं।
महाराष्ट्र में 2019 का विधानसभा चुनाव होने के बाद उस साल नवंबर में राजभवन में आनन-फानन में आयोजित किये गये एक समारोह में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, अजीत पवार के सरकार से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार करीब 80 घंटे ही रह पाई थी।
फडणवीस ने कहा कि राज्य में हालिया राजनीतिक संकट के लिए सिर्फ उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराना होगा और उनकी कार्यशैली के चलते ही शिवसेना में विभाजन हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘करीब 30-40 विधायकों ने महा विकास आघाड़ी को छोड़ दिया और उन्हें (उद्धव के) इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।''
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘उद्धव जी अपने भाषणों में कहा करते थे- ‘आप मेरी सरकार गिराने की कोशिश कर सकते हैं।' मैंने कहा- ‘एक दिन आपकी सरकार गिर जाएगी और आपको इसका आभास तक नहीं होगा और यही हुआ।''
फडणवीस ने कहा, 'उद्धव ठाकरे ने जनादेश का मजाक उड़ाया। जब हम गठबंधन में लड़े, तो हर सभा में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएम भाजपा से होंगे। उद्धव ठाकरे भी मंच पर थे और ताली बजाई थी। लेकिन जब आकांक्षाएं क्षमता से अधिक हो जाती हैं, तो लोग निर्णय लेते हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमने पहले (शिवसेना संस्थापक) बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में हिंदुत्व के लिए लड़ाई लड़ी थी और आज वे बालासाहेब को 'जनाब' बालासाहेब ठाकरे कह रहे हैं। उर्दू में एक कैलेंडर प्रकाशित कर रहे हैं। इस तरह का तुष्टिकरण शिवसेना द्वारा कभी नहीं किया गया था।'
फडणवीस ने शिवसेना के एक कार्यकर्ता द्वारा उर्दू में प्रकाशित करवाए गए एक कैलेंडर बाल ठाकरे को ‘जनाब' कह कर संबोधित करने के लिये अपनी पूर्व सहयोगी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उद्धव उनके राजनीतिक विरोधी हो सकते हैं, लेकिन वे दुश्मन नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब भी उद्धव से बात कर सकता हूं, लेकिन यह मेरी गैर-राजनीतिक बातचीत होगी। हर चीज को राजनीति के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए।''