नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जोशीमठ मामले की सुनवाई शुरू होने पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने उत्तराखंड के वकील से पूछा कि वहां वर्तमान स्थिति क्या है। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वहां केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह सक्रिय हैं। उत्तराखण्ड सरकार ने कहा हमारी राज्य सरकार पूरा प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकर्ताओं से कहा कि मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है तब बेहतर होगा आप उत्तराखंड हाई कोर्ट में अपील दाखिल करें। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उत्तराखंड हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है तब देखना होगा कि यहां सुनवाई का औचित्य है या नहीं। 

सीजेआई ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को इसतरह के मामले की सुनवाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से वहां सुनवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने कहा कि हम मौलिक अधिकार को लेकर आएं हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है तब ऐसे में जो मांगें यहां याचिका में हैं वहां हाईकोर्ट में भी की जा सकती हैं। इसके बाद हम याचिकाकर्ता को इजाजत देते है कि वहां हाईकोर्ट जाएं। हाईकोर्ट लंबित याचिकाओं के साथ इनकी याचिका की सुनवाई करे। 

दरअसल बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और स्कीइंग के लिए मशहूर औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भू-धंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है मकानों में सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। 

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यह संकट बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुआ है और उत्तराखंड के लोगों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता तथा मुआवजा दिया जाना चाहिए। याचिका में चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की याचिका में कहा गया है कि ‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की जरूरत नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है तब यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इस तुरंत युद्ध स्तर पर रोका जाए। 





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