फ्लोरिडा: जैसे-जैसे प्रकृति में बदलाव हुए, वैसे-वैसे अनुकूलन बनाने के क्रम में जीवों में भी बदलाव होते गए। जमीन पर रहने वाले जीवों में अलग तरह की विशेषताएं विकसित हुईं, जैसे वे चलने-फिरने लगे। आकाश में उड़ने के लिए कई जीवों को पंख मिल गए पानी में रहने वाले जीवों के पास फिन आ गए और गिल्स के चलते वे पानी में सांस लेने लगे।
अब ऐसा लग रहा है जैसे प्रकृति फिर से करवट ले रही है। हाल में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें शार्क की ऐसी प्रजाति पता चली है जो पानी से बाहर निकलकर जमीन पर रहने लगती है और चल भी लेती है। फ्लोरिडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक बेहद चौंकाने वाली बात का पता लगाया। शोध के बारे में जारी की गई स्टेटमेंट में कहा गया है कि एपाउलेट शार्क्स पानी से बाहर निकलकर अपने फिन के जरिए जमीन पर चल लेती हैं और बिना ऑक्सीजन या पानी के भी करीब 2 घंटे तक जिंदा रह सकती हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि ये सब चीजें पर्यावरण परिवर्तन के कारण हो रही हैं।
अब वैज्ञानिक इस बात की खोज कर रहे हैं कि मछलियों में चलने की यह प्रतिभा कैसे विकसित हो रही है। चलने वाली शार्क्स की अन्य प्रजाति ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी में पाई जाती है। इस शोध की सीनियर ऑथर डॉ मैरियान पोर्टर ने कहा है कि एपाउलेट शार्क के लोकोमोशन को पढ़ने के बाद इस प्रजाति के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल की जा सकती है कि ये चल कैसे पा रही है और मुश्किल परिस्थितियों में खुद को जीवित कैसे रखे हुए है।
अब उनकी टीम इस बात पर शोध कर रही है कि आगे जलवायु परिवर्तन की गति बढ़ने से एपाउलेट शार्क में क्या बदलाव आ सकता है।
यह शार्क 3 फीट तक लंबी हो जाती है और अब इसी के भरोसे वैज्ञानिक इवोल्यूशन की प्रक्रिया को समझने की कोशिश करेंगे। लंदन के नेशनल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार एपाउलेट शार्कों ने अपनी चलने की क्षमता करीब 90 लाख साल पहले विकसित की होगी। यह सुनकर लोग डर सकते हैं लेकिन चिंता की बात नहीं है, क्योंकि एपाउलेट शार्क इंसानों के लिए जानलेवा नहीं होती। वह सिर्फ छोटी मछलियां या अन्य छोटे जीव ही खाती हैं।