नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के मामले में मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर हैं। भारत का कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन दो सालों में पहली बार देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के तीन फीसदी को पार पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2021-22 में कॉरपोरेट टैक्स और जीडीपी रेश्यो भारतीय कॉरपोरेट के मुनाफे में कुल मिलाकर सुधार को दिखाता है। 2021-2022 में नेट कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 7.12 लाख करोड़ रुपए पर रहा है जो जीडीपी के रेश्यो के आंकड़े में 3.01 फीसदी है। मौजूदा बाजार की कीमत पर कलेक्शन 236.64 लाख करोड़ रुपए पर मौजूद है। हालांकि कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन तीन फीसदी के ज्यादा पर वापस आ गया है लेकिन यह पांच साल के सबसे ज्यादा स्तर के पार नहीं गया है। 2018-19 में यह जीडीपी का 3.51 फीसदी रहा था। उस समय नेट कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 6.63 लाख करोड़ रहा था।

2019-20 के दौरान कॉरपोरेट टैक्स की दर में तेज गिरावट आई थी और रेश्यो जीडीपी के 2.77 फीसदी पर आ गया था। यह 28 सालों में सबसे बड़ी गिरावट थी। सरकार ने नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर में 10 फीसदी अंकों की कटौती की थी क्योंकि वे निवेश को बढ़ाना चाहती थी।

इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन में पिछले साल के मुकाबले 34 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 के मुकाबले इसमें 58 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। आयकर विभाग के मुताबिक टैक्स के नियमों को सरल करने प्रक्रिया को आसान बनाने और न्यूनतम दरों के साथ छूट न देने की वजह से कलेक्शन में उछाल देखने को मिला था।








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