शिरडी: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर जारी प्रक्रिया में राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि ओबीसी आरक्षण में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ किए बिना मराठा समाज को आरक्षण दिया जाएगा। यह स्पष्ट नीति मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष एवं राज्य मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पुनः दोहराई और कहा कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर वे पूरी तरह स्थिर और दृढ़ हैं। किसी भी स्थिति में इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाएगा।
राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि सरकार की ओर से मराठा आरक्षण के समर्थन में कई कदम उठाए जा रहे हैं और इस दिशा में मराठा समाज के लोगों के साथ लगातार संवाद जारी है। खासतौर पर मनोज जरांगे पाटिल के साथ बातचीत चल रही है, जिन्हें सरकार ने आश्वासन भी दिया है कि उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाएगा।
इसके साथ ही मंत्री ने यह भी बताया कि मराठा समाज के वंशावली निर्धारण के लिए गांव स्तर पर समितियां बनाई गई हैं। यह समितियां गांवों में रहने वाले लोगों के उपनाम (आडनाव) के आधार पर वंशावली तय करेंगी। यदि किसी गांव में लगभग 80 प्रतिशत लोग एक ही उपनाम से संबंधित हों और वहां चार व्यक्तियों को ‘कुणबी प्रमाणपत्र’ मिल चुका हो, तो बाकी लोगों को भी उनकी वंशावली की जांच के बाद कुणबी प्रमाणपत्र दिया जाएगा। यह कदम मराठा समाज के लोगों को उनकी पहचान और आरक्षण लाभ दिलाने में मददगार साबित होगा।
बता दें कि मराठा आरक्षण का उद्देश्य मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत करके उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करना है। हालांकि कई ओबीसी नेता और समुदाय के लोग इसके विरोध में थे, क्योंकि इससे ओबीसी समुदाय को मिलने वाला आरक्षण कम होने की आशंका थी।
वहीं, केंद्र सरकार के सहकारिता मंत्री अमित शाह की आगामी यात्रा भी राज्य में काफी चर्चा में है। वे शिर्डी में रात्रि विश्राम के बाद रविवार को लोणी और कोपरगांव में विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। इस दौरान महाराष्ट्र के राज्य मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल भी मौजूद रहेंगे, जो मराठा आरक्षण समेत अन्य विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।