Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश : 'जय हिंद सभा' में जबलपुर नहीं आएंगे राहुल, प्रियंका गांधी

'जय हिंद सभा' से राहुल-प्रियंका नदारद, सज्जन वर्मा ने सरकार पर तीखे आरोप लगाए
मध्य प्रदेश : 'जय हिंद सभा' में जबलपुर नहीं आएंगे राहुल, प्रियंका गांधी

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में 31 मई को होने वाली 'जय हिंद सभा' में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का बहुप्रतीक्षित आगमन अब टल गया है। राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।

जबलपुर में 31 मई को 'जय हिंद सभा' होने वाली है, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सम्मिलित होने की जानकारी पहले दी गई थी। शहर में जगह-जगह प्रियंका गांधी के पोस्टर भी लगाए जा चुके हैं। लेकिन अब कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस सभा में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और उमंग सिंगार जैसे नेता शामिल होंगे। एयरपोर्ट से शुरू होने वाली यात्रा शौर्य स्तंभ पर शहीदों को याद करेगी। इसके बाद शहीद स्मारक गोल बाजार में सभा का आयोजन किया जाएगा।

पूर्व लोकसभा सांसद सज्जन सिंह वर्मा ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए घर-घर सिंदूर अभियान को ब्लैकमेलिंग, और पीओके पर कब्जा न करने को मोदी सरकार की पाकिस्तान के साथ सांठगांठ करार दिया।

सज्जन सिंह वर्मा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कोरोना काल का उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने थालियां बजवाई थीं, उसी तरह यह घर-घर सिंदूर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। क्या यह सिंदूर देने से महिलाओं के सुहाग की रक्षा हो जाएगी? इसके साथ ही उन्होंने इस कार्यक्रम को ब्लैकमेलिंग कहा।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने राज्य के मंत्री विजय शाह को निष्कासित न किए जाने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार में पवन बंसल रेल मंत्री थे और उनके भांजे के ऊपर एक छोटे से अपराध का आरोप लगा था, तो उनसे तत्काल इस्तीफा मांग लिया गया था। लेकिन कैबिनेट मंत्री विजय शाह गोंड समाज से आते हैं और वोट बैंक की राजनीति के चलते मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में उन्हें अलग करने का साहस नहीं है।

सरकार पर पाकिस्तान से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "भाजपा यह प्रचारित कर रही है कि जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब सरदार वल्लभ भाई पटेल पीओके से सेना हटाने के पक्ष में नहीं थे और नेहरू जी के दबाव के चलते कब्जा नहीं किया गया। अब जब हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के ऊपर अटैक किया था तो पीओके पर कब्जा क्यों नहीं किया, अब तो कोई नेहरू नहीं है। यह सरकार की उनके (पाकिस्तान के) साथ सांठगांठ का नतीजा है।"

 

 

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...