CBI Court Verdict : धोखाधड़ी मामले में डाकघर के पूर्व कर्मचारी को 5 साल की जेल

सीबीआई अदालतों ने गबन और बैंक धोखाधड़ी मामलों में दोषियों को सजा सुनाई
मध्य प्रदेश: धोखाधड़ी मामले में डाकघर के पूर्व कर्मचारी को 5 साल की जेल

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के जबलपुर में सीबीआई कोर्ट ने सागर जिले के खिमलासा उप डाकघर के पूर्व उप डाकपाल को जमाकर्ताओं के खातों से 70 लाख रुपए से अधिक की राशि के गबन के मामले में दोषी ठहराया है और उसे पांच साल की कठोर सजा सुनाई है। सीबीआई ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अदालत ने गुरुवार को आरोपी विशाल कुमार अहिरवार को पांच साल की सजा सुनाई और 32 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। विशाल कुमार अहिरवार 2020-22 के दौरान खीमलासा में सब पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत था।

सीबीआई ने बताया कि अहिरवार के खिलाफ साल 2022 में 17 नवंबर को मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करके निकासी प्रक्रिया में हेरफेर कर फंड की हेराफेरी की।

23 जून 2020 से 19 मार्च 2022 के बीच, अहिरवार ने कथित तौर पर फर्जी निकासी की स्लिप बनाईं और खाता पासबुक में गलत एंट्री कीं।

सीबीआई ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, आरोपी विशाल कुमार अहिरवार ने सरकारी खजाने को 70.97 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया और खुद को उतना ही फायदा पहुंचाया।

इस मामले में जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 23 नवंबर 2023 को जबलपुर में सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश के समक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया।

ट्रायल के दौरान, अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश किए, जिनसे पता चला कि अहिरवार ने किस तरह से धोखाधड़ी से पैसे निकाले।

सीबीआई ने बताया कि ट्रायल के बाद अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे सजा सुनाई।

इसी तरह, गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज ने 25 सितंबर को अपने फैसले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, नोएडा की एसएसआई ब्रांच के ब्रांच मैनेजर मनोज श्रीवास्तव को 40 लाख रुपए के धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहराया। कोर्ट ने उन पर 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और 4 साल की सजा सुनाई।

सीबीआई के अनुसार, उसने 14 दिसंबर 2010 को बैंक धोखाधड़ी के आरोप में ब्रांच मैनेजर मनोज श्रीवास्तव और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

 

 

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