रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए बुधवार क दिन जीवन-मरण का दिन है। बुधवार को हेमंत से जुड़े दो अहम मामलों की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हो रही है। सीएम सोरेन से जुड़े प्रकरण की सीबीआई जांच कराने पर अदालत का बड़ा फैसला आ सकता है। हेमंत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल मामले में जोरदार दलीलें दीं। शेल कंपनियों में सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों के निवेश के मामले में राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने पक्ष रखकर कहा कि याचिका में तथ्यों को छुपाया गया है, जो झारखंड हाई कोर्ट रूल का उल्लंघन हैं। उन्होंने डेढ़ घंटे तक बहस की। उन्होंने कहा कि जब मामला कहीं दर्ज नहीं है तब सीबीआई जांच का आदेश कैसे दिया जा सकता है। सिब्बल ने वादी के पिता से पुरानी दुश्मनी और राजनीतिक साजिश, दुराग्रहों वाली दलील दोहराई। सिब्बल ने कहा कि तथ्यों के छुपाने कारण याचिका को खारिज कर देना चाहिए।
वादी के वकील राजीव कुमार अदालत में अपना पक्ष रखकर कहा कि हमने सारा दस्तावेज कोर्ट के सामने रखा है। याचिका में रूल का पालन किया गया है। भ्रष्टाचार से राज्य परेशान है। सीएम का करीबी शेल कंपनी के जरिये अवैध कमाई को शराब, अवैध खनन में इस्तेमाल कर रहा है। सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कोर्ट में अपना पक्ष रख रहे हैं। ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता एजेंसी का पक्ष रख रहे हैं।
पहला मामला हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम पर खदान लीज लेने और दूसरा मामला हेमंत, उनका परिवार और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनियां चलाने से संबंधित है। इन दोनों मामलों में झारखंड उच्च न्यायालय में प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने याचिका दाखिल कर सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उनका तर्क है कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, इस मामले में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं।
झारखंड सरकार मुख्यमंत्री सोरेन का बचाव कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के नामी-गिरामी वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी हेमंत सोरेन की ओर से उनके बचाव में उतारे हैं। संदर्भ मामलों में ईडी, प्रवर्तन निदेशालय भी पार्टी बन गई है। उसने भी कोर्ट में हलफनामा देकर साफ कहा है कि आइएएस पूजा सिंघल सहित कई लोगों के यहां हुई हालिया छापेमारी में इसतरह के गोपनीय दस्तावेज हाथ लगे हैं। जिसमें भ्रष्टाचार के तार सोरेन से जुड़े होने की पुष्टि हुई है। इसलिए अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया जाए।
इस बीच सोरेन भी पहली बार अदालत के सामने आए हैं। उन्होंने अपने नाम से हाई कोर्ट में एफिडेविट फाइल कर कहा है कि वे खदान लीज मामला में पहले ही चुनाव आयोग के नोटिस का सामना कर रहे हैं। इसकारण हाई कोर्ट को भारत निर्वाचन आयोग का फैसला आने तक सुनवाई टाल देनी चाहिए। हालांकि, हाई कोर्ट झारखंड सरकार के इसतरह के तर्क को पहले ही खारिज कर चुकी है।
झारखंड हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में एक महीने तक अगली सुनवाई टालने के सरकारी आग्रह को ठुकराते हुए साफ कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। राज्य हित और न्याय का मामला है। इसलिए अदालत गर्मी की छुट्टियों में भी इसकी विशेष सुनवाई कर रहा है। फिर सुनवाई टालने का सवाल कहां है। किसी को अब कोई समय नहीं दिया जाएगा। हर हाल में 1 जून को सुनवाई होगी। इससे पहले 31 मई तक सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का आदेश अदालत ने दिया था।