जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला। बिष्टुपुर के एक्सएलआरआई आडिटोरियम में रविवार को आदिवासी महादरबार का आयोजन किया गया। यह आयोजन आदिवासी सांवता सुसार अखाड़ा की ओर से किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा, संस्कृति को बचाए रखने के लिए आगे बढ़कर लड़ना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि हमने विश्व आदिवासी दिवस में घोषणा की गई थी कि नगड़ी ग्राम में हल जोतेगे। राज्य सरकार में दम है, तो चंपई सोरेन को रोककर दिखाए। उन्होंने कहा कि कोल्हन, संथाल सहित विभिन्न जिलों में इसे रोकने के लिए छावनी बना दिया गया था। लेकिन नगड़ी में हमारी जीत हुई, वहां पर हल जोता गया।
उन्होंने कहा कि बाबा तिलका मांझी से लेकर वीर सिद्धू कानू, चांद भैरव और भगवान बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी है। हमारे पूर्वजों ने कभी किसी की गुलामी नहीं सही। हमें भी अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने के लिए आगे बढ़कर लड़ना पड़ेगा। जमीन दो तरह की होती है। इसमें से एक पुतैनी जमीन है, जिसे हम खरीद कर नहीं लेते हैं। दूसरी पैतृक जमीन होती है जिसे खरीद कर लेते हैं। आज आदिवासी समाज के लोगों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है।
सरना समिति की उपाध्यक्ष महिला वक्ता निशा उरांव ने कहा कि पेसा कानून को पिछले 15 सालों से लागू करने की लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन इस लड़ाई में पेसा कानून को लागू करने के स्थान पर छठी अनुसूची के तहत चुनाव कराने की व्यवस्था की मांग हो रही थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि तुरंत पेसा कानून लागू किया जाए।
इस आयोजन में झारखंड, बंगाल और उड़ीसा के करीब दो हजार से अधिक माझी बाबा ने शिरकत की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं संवैधानिक पहलुओं पर चर्चा की गई।