बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी जी में आज चौथे नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने माता जी के कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत पूजा-अर्चना की और अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। नवरात्र के इस पावन पर्व पर मंदिर में भक्तों का उत्साह देखने लायक था, हर कोई माता की कृपा पाने के लिए सुबह से ही दर्शन करने के लिए पहुंचा।
इस वर्ष नवरात्रों के दौरान प्रशासन और मंदिर न्यास द्वारा सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में नारियल चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। मंदिर में भारी भीड़ और सुरक्षा जोखिम को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। जो भी श्रद्धालु माता नैना देवी के दर्शन के लिए उनके दरबार में नारियल लेकर आते हैं, उन्हें मुख्य द्वार पर रोककर नारियल ले लिया जाता है और बाहर निकलने के समय वापस दे दिया जाता है।
मंदिर के पुजारी मनीष शर्मा का कहना है कि नारियल को मुख्य द्वार पर श्रद्धालुओं से ले लिया जाता है और उन्हें निकासी द्वार के पास प्रसाद के रूप में लौटाया जाता है। यह व्यवस्था श्रद्धालुओं और मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि नवरात्र मेला के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने के कारण सुरक्षा उपायों को और कड़ा करना आवश्यक हो गया है। यह नियम पूरी तरह से श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
श्रद्धालु पंजाब काला ने बताया कि वे भी इस व्यवस्था का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नारियल मुख्य द्वार पर ले लिए जाते हैं और टोकन मिल जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद टोकन के माध्यम से उन्हें नारियल प्रसाद के रूप में वापस कर दिया जाता है। इससे श्रद्धालु अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा के साथ कर सकते हैं और सुरक्षा के लिहाज से भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।
मंदिर प्रशासन ने बताया कि इस प्रकार की व्यवस्था हर साल नवरात्र मेला के दौरान लागू की जाती है ताकि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने पर भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। सुरक्षा के साथ-साथ श्रद्धालुओं को उनके धार्मिक अधिकारों का भी सम्मान सुनिश्चित किया गया है।