नई दिल्ली: भारत में कुश्ती के खेल में पुरुषों का प्रभुत्व रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तस्वीर तेजी से बदली है। मौजूदा समय में विश्व कुश्ती में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी अपना दबदबा कायम किया है। ऐसी महिला पहलवानों में सबसे अग्रणी नाम विनेश फोगाट का है। विनेश भारत की पहली महिला पहलवान हैं, जिन्होंने एशियाई खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता।
25 अगस्त 1994 को हरियाणा में जन्मी विनेश ने पहलवानी का अभ्यास काफी छोटी उम्र से शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने चाचा महावीर सिंह फोगाट से कुश्ती की ट्रेनिंग ली है और उन्हीं के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है।
विनेश की झोली पदकों से भरी हुई है। 2018 में 20 अगस्त का दिन उनके लिए बेहद खास था। जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने 50 किग्रा केटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था। विनेश से पहले एशियन गेम्स में किसी भारतीय महिला ने गोल्ड नहीं जीता था।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनेश इस उपलब्धि से पहले भी अपना बड़ा नाम बना चुकी थी। विनेश ने ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 2014 में ही 48 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता था। इसके बाद 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 किग्रा कैटेगरी और 2022 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में 53 किग्रा में उन्होंने गोल्ड जीता था।
विनेश 2019 और 2022 में विश्व चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई गेम्स में गोल्ड जीतने वाली विनेश फोगाट पहली भारतीय महिला पहलवान हैं। विनेश पेरिस ओलंपिक के फाइनल में पहुंच गई थी, लेकिन वजन बढ़ने की वजह से उन्हें फाइनल खेलने से रोक दिया गया और वह गोल्ड जीतने का मौका चूक गईं। विनेश के नाम सिल्वर मेडल भी नहीं हो सका था।
पेरिस ओलंपिक में विनेश के साहसिक प्रदर्शन के बाद वे भले ही मेडल से चूक गईं, लेकिन जनभावनाएं पूरी तरह उनके साथ थीं। विनेश का भारत में स्वागत एक गोल्ड मेडलिस्ट की तरह हुआ और उन्हें उसी तर्ज पर इनाम भी दिया गया। हालांकि ओलंपिक मेडल न जीतने से विनेश टूट गई थीं और उन्होंने कुश्ती को अलविदा कह दिया था।
फोगाट को 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2020 में खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।