कैंसर से जंग जीतकर भारत के लिए डेब्यू, कुछ ऐसी है जेपी यादव की दास्तां

नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। जेपी यादव एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने ऑलराउंडर के रूप में खेला। गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में माहिर 'जेपी' को घरेलू स्तर पर भरोसेमंद खिलाड़ी माना जाता था। कैंसर से जंग जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले इस खिलाड़ी का जुझारूपन उन्हें एक आइडल बनाता है।

7 अगस्त 1974 को भोपाल में जन्मे जेपी यादव उस वक्त की खोज हैं, जब भारतीय टीम को एक ऑलराउंडर की दरकार थी।

जब जेपी यादव महज 21 साल के थे, तब उन्हें कैंसर का पता चला। यह जानकर युवा जेपी यादव को बड़ा झटका लगा। वह अंदर से टूट गए थे, लेकिन अभी उन्हें टीम इंडिया की ओर से खेलने का सपना पूरा करना था।

उस समय तक जेपी यादव रणजी क्रिकेट में काफी नाम कमा चुके थे। ट्यूमर का पता चलते ही समय रहते उनका इलाज शुरू हो गया।

जेपी बीमारी का पता चलने के बाद डिप्रेशन में थे। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में उनका इलाज चला, जहां उन्होंने छोटे बच्चों को इस बीमारी से जूझते देखा। इन बच्चों से जेपी को मोटिवेशन मिला। उन्होंने ठान लिया कि इस बीमारी से लड़ना होगा।

कीमोथेरेपी के चलते जेपी यादव का वजन 12-15 किलोग्राम कम हो चुका था। वह बेहद कमजोर दिखने लगे थे। डॉक्टर कह चुके थे कि अब कभी क्रिकेट नहीं खेल सकेंगे, लेकिन हार मानना जेपी की फितरत नहीं थी। ऐसे वक्त पर परिवार और दोस्तों ने उन्हें भरपूर सपोर्ट किया।

कीमोथेरेपी के बाद डॉक्टर्स की सलाह थी कि जेपी यादव ज्यादा न चलें, लेकिन यह जिंदादिल खिलाड़ी फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने पहुंच गया। प्रथम श्रेणी स्तर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए जेपी यादव ने आखिरकार नवंबर 2002 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू किया।

जेपी यादव भारत की ओर से 12 वनडे मैच खेले, जिसमें 81 रन बनाए। इसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ बुलावायो में एक अर्धशतक भी शामिल है।

जेपी यादव ने अपने फर्स्ट क्लास करियर में 130 मुकाबले खेले, जिसमें 13 शतक और 36 अर्धशतक की मदद से 7,334 रन जड़े। गेंदबाजी में उन्होंने 296 शिकार किए।

जेपी ने लिस्ट-ए करियर में 134 मैच खेले, जिसमें 3,620 रन जुटाए। इस दौरान उनके बल्ले से चार शतक और 23 अर्धशतक निकले। लिस्ट-ए क्रिकेट में जेपी के नाम 135 विकेट दर्ज हैं।

--आईएएनएस

आरएसजी

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