जन्मदिन विशेष: 19 साल में डेब्यू करने वाला भारतीय हॉकी टीम का दमदार मिडफील्डर मनप्रीत सिंह

नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)। भारतीय हॉकी टीम अपने पुराने गौरवशाली दिनों की तरफ लौटती हुई दिख रही है। ओलंपिक में मिल रहे मेडल इस बात का सबूत हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी की प्रतिष्ठा को पुनः वापस लाने में जिन खिलाड़ियों ने अहम भूमिका निभाई है। उनमें एक नाम मनप्रीत सिंह का भी है। 19 साल की उम्र में टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाले इस खिलाड़ी ने अपनी पहचान एक दमदार और फुर्तीले मिडफील्डर के रूप में बनाई है।

26 जून 1992 को जालंधर, पंजाब में जन्मे मनप्रीत सिंह ने 2011 में महज 19 साल की उम्र में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था। डेब्यू के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है और पिछले एक दशक में भारतीय हॉकी टीम की सफलता में अहम किरदार बनकर उभरे हैं। उन्होंने अपने करियर में 4 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी खिताब (2013, 2018, 2023, 2024), 2 एशियाई खेल स्वर्ण पदक (2014, 2023), 2 ओलंपिक कांस्य पदक (2020, 2024), 2 राष्ट्रमंडल खेल रजत पदक (2014, 2022), 2014-15 और 2016-17 एफआईएच विश्व लीग और 2018 में हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में पोडियम स्थान हासिल किया। 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने मनप्रीत की कप्तानी में ही ब्रांज मेडल जीता था। मनप्रीत अबतक 4 ओलंपिक खेल चुके हैं।

मनप्रीत सिंह भारत की तरफ से दूसरे सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाली खिलाड़ी बन चुके हैं। वह 400 मैच खेल चुके हैं। उनसे ज्यादा मैच पूर्व कप्तान और मौजूदा हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप टिर्की (412 मैच) ने खेले हैं। मनप्रीत जल्द ही दिलीप टिर्की को पीछे छोड़ भारत की तरफ से सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी बन सकते हैं।

400वें मैच में खेलने उतरे मनप्रीत सिंह ने कहा था, "मुझे अभी भी याद है कि अपने डेब्यू मैच में मुझे कैसा महसूस हुआ था। 400 मुकाबलों के बाद यहां खड़े होना, मेरी कल्पना से परे है। यह उपलब्धि हर उस कोच, उस खिलाड़ी, उस फैन के साथ साझा करना चाहता हूं जिसने मुझ पर तब विश्वास किया, जब मुझे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। मैं अभी भी सीख रहा हूं, अभी भी बढ़ रहा हूं। मैं आज भी उसी जोश के साथ खेलता हूं, जैसा कि 19 साल की उम्र में खेला करता था।"

मनप्रीत सिंह को 2018 में अर्जुन पुरस्कार और 2021 में खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मनप्रीत सिंह का सपना ज्यादा से ज्यादा युवाओं को हॉकी से जोड़ना है ताकि इस खेल को उसके पुराने स्वर्णिम दिन लौटाए जा सकें।

--आईएएनएस

पीएके/आरआर

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